सूर्यदेव 25 मई को 2:50 बजे रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रहता है, तब नौतपा होता है। इस नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहेगा। लेकिन शुरुआती 9 दिनों में गर्मी बहुत अधिक बढ़ जाती है। इसलिए इन 9 दिनों के समय को ही नौतपा कहा जाता है। ये समय इस बार 25 मई से 2 जून तक रहेगा। इसके अलावा ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष में चंद्रमा जब आर्द्रा से स्वाती तक 10 नक्षत्रों में रहता हो तो नौतपा होता है। इस बार शनिदेव के वक्री रहने से तापमान बढ़ने के संकेत है।
संक्रमण में आएगी कमी ज्योतिषियों की माने तो नौतपा के कारण कोरोना महामारी संक्रमण में कमी आएगी। कोरोना महामारी संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी और कोरोना का असर न्यूनतम होगा। देश में फैला डर का माहौल खत्म होगा। लोगों में अनुकूलता और आरोग्यता भी बढ़ेगी। खगोल विज्ञान के अनुसार इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है। नौतपा के आखिरी दो दिनों के भीतर आंधी तूफान व बारिश होने की संभावना रहेगी।
नौतपा का पौराणिक महत्व नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन आता है। कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है। सनातन सस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता रहा है। नौतपा को लेकर लोक मान्यता है कि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो आगे के दिनों में अच्छी बारिश होती है।
जलदान का महत्व नौ तपा के नौ दिनों में पानी खूब पिया जाता है और जल दान की पौराणिक परम्परा भी है। मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों में लोग इन दिनों में सार्वजनिक जगहों पर अस्थाई प्याऊ का संचालन भी करते है।