पौराणिक कथा देवी कात्यायनी जी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार देवी कात्यायनी देवताओं, ऋषियों के संकटों को दूर करने लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में उत्पन्न हुईं। महर्षि कात्यायन ने देवी पालन पोषण किया। जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया, तब उसका विनाश करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज़ और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था और ॠषि कात्यायन ने भगवती जी कि कठिन तपस्या, पूजा की इसी कारण से यह देवी कात्यायनी कहलाई।
माना जाता है कि महर्षि कात्यायन जी की इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। देवी ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार की तथा अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेने के पश्चात शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिनों तक कात्यायन ॠषि ने इनकी पूजा की, दशमी को देवी ने महिषासुर का वध किया ओर देवों को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त किया। कात्य गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ गया।
पूजा विधि नवरात्रों के छठे दिन प्रात: जल्दी उठ स्नान कर देवी कात्यायनी का ध्यान करना चाहिए। इसके पश्चात पहले दिन की तरह कलश और उसमें उपस्थित सभी देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। कलश पूजा के बाद देवी कात्यायनी की पूजा कर शहद का भोग लगाना चाहिए। हाथों में पुष्प लेकर माता के ऊपर दिए गए मन्त्रों का जाप करते हुए उन पर पुष्प अर्पित करने चाहिए। देवी की पूजा के पश्चात महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए. श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए। मां कात्यायनी की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद फिर मां का आशीर्वाद लेना चाहिए और साधना में बैठना चाहिए। इस प्रकार जो साधक प्रयास करते हैं उन्हें भगवती कात्यायनी सभी प्रकार के भय से मुक्त करती हैं। मां कात्यायनी की भक्ति से धर्म, अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्र के छठे दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें। यह रंग शक्ति का प्रतीक होता है।
मां को शहद का भोग प्रिय है षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।
देवी कात्यायनी का मंत्र सरलता से अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने वाली मां कात्यायनी का उपासना मंत्र है:
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना,
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि।