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नवरात्रि विशेष: तो इसलिए गरबा खेल माता की होती है अराधना, कुछ ऐसे हुई थी इसकी शुरुआत

locationजयपुरPublished: Sep 22, 2017 09:14:57 pm

यहां प्रदेश में नवरात्रि के प्रारंभ के साथ ही हर उम्र के लोग गरबा के रंग में रंगे दिखाई देने लगते हैं। जबकि लड़कियां और महिलाएं पारंपरिक रुप से तैयार

Navaratri Garba
सुख समृद्धि और खुशहाली का महापर्व शारदीय नवरात्र गुरुवार को घट स्थापना के साथ ही प्रारंभ हो चुका है। तो वहीं पूरे राजस्थान में इस विशेष दिवस के दिन लोगों की लंबी कतारे मंदिरों और पण्डालों में देखने को मिल रही है। जबकि नौरात्र के दौरान माता की विशेष पूजा-अराधना को देखते मंदिरों को भी पूरी तरह से सजा दिया गया। एक तरफ जहां लोगों में नवरात्र को लेकर खासा उत्साह है, तो वहीं इन नव दिनों तक पूरे राजस्थान में गरबा का आयोजन भी अपने चरम पर है।शारदीय नवरात्र को लेकर प्रदेश के हर घर में मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त उनकी अराधना में जुट गए हैं। इस दौरान नौ दिन तक मां शक्ति के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। यहां प्रदेश में इस दौरान गरबा का अपना एक विशेष महत्व है। हम आपको गरबा से जुड़ी अहम बातें बता है, जो शायद आपको पता नहीं हो।
यहां प्रदेश में नवरात्रि के प्रारंभ के साथ ही हर उम्र के लोग गरबा के रंग में रंगे दिखाई देने लगते हैं। वैसे तो गरबा का राजस्थान और पड़ोसी राज्य गुजरात में काफी क्रेज दिखता है। और यहां गरबा का एक अलग ही अंदाज देखने को मिलता है। लेकिन इसके पीछे खास बात है कि मां दुर्गा को गरबा नृत्य काफी पंसद है, और दूसरी सबसे अहम बात इन दिनों यहां लड़कियां और महिलाएं पारंपरिक रुप से तैयार होकर गरबा करती है। जो कि कलश स्थापना के बाद से गरबा शुरू हो जाता है।
बेहद कम को लोगों को यह जानकारी होगी कि गरबा शब्द मूल रूप से संस्कृत के एक गर्भद्वीप से निकला हुआ है। और बाद में अपभ्रंश के रूप में यह शब्द बदलता गया। फिर वर्तमान में इसे गरबा के नाम से जाना जाता है। तो वहीं गरबा की शुरुआत में देवी मां के पास एक सछिद्र घड़े को फूलों से सजाकर उसमें दीपक रखा जाता है। जिसे दीपगर्भ कहा जाता है।
राजस्थान में पारंपरिक रुप से मनाए जाने वाले गरबा की उत्पति मूलत गुजरात, राजस्थान और मालवा प्रेदशों में प्रचलित लोकनृत्य को माना गया है। जबकि इसे सौभाग्य का प्रीतक भी माना जाता है। गरबा की धूम पूरे नौ दिन तक रहती है। रात्री में बच्चों से लेकर बड़ो तक सभी गरबा करते हैं।
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