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Navarna Mantra दुर्गा पूजा का सबसे प्रभावकारी मंत्र, समाहित हैं सभी नौ रूप, समाई है नवग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2020 09:53:01 am

Submitted by:

deepak deewan

नवार्ण नौ अक्षरों वाला मंत्र है। इसका हरेक-अक्षर मां दुर्गा की एक शक्ति से संबंधित है। साथ ही एक-एक ग्रह से भी इनका संबंध है।
 

Navarna Mantra Ka Mahatva Navarna Mantra Ka Arth

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जयपुर. शारदीय नवरात्रि शक्ति उपासना का पर्व है। मान्यता है कि इस अवधि में सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं, जिसका व्यापक दुष्प्रभाव पड़ता है। नवग्रहों के कुप्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि माता दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी हैं। नवरात्रि में पूर्ण श्रद्धा से उनकी पूजा करने से उनमें समाहित नौ शक्तियां जागृत होकर नौ ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं।
दुर्गा माता की इन नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए ‘नवार्ण मंत्र’— ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ सबसे श्रेष्ठ है। नवार्ण नौ अक्षरों वाला मंत्र है। इसका हरेक-अक्षर मां दुर्गा की एक शक्ति से संबंधित है। साथ ही एक-एक ग्रह से भी इनका संबंध है।
नवार्ण मंत्र के पहले अक्षर ऐं का संबंध दुर्गाजी की पहली शक्ति शैल पुत्री से है जिनकी प्रथम नवरात्र को उपासना की जाती है। ऐं अक्षर सूर्य ग्रह को भी नियंत्रित करता है।

दूसरा अक्षर ह्रीं है, जिसका संबंध दुर्गाजी की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है. इनकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है। ये चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है।
तृतीय अक्षर क्लीं दुर्गाजी की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा से संबंधित है जिनकी उपासना तीसरे दिन की जाती है. इस बीज मंत्र में मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।

चतुर्थ अक्षर “चा” से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की उपासना की जाती है. इस बीज मंत्र में बुध ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
पंचम बीज मंत्र “मुं” से माता दुर्गा की पंचम शक्ति मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है. इस बीज मंत्र में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।

षष्ठ बीज मंत्र “डा” से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है. इस बीज मंत्र में शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
सप्तम बीज मंत्र “यै” से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना की जाती है. इस बीज मंत्र में शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।

अष्टम बीज मंत्र “वि” से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है. इस बीज मंत्र में राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।
नवम बीज मंत्र “चै” से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है. इस बीज मंत्र में केतु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है।

ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार नवार्ण मंत्र जाप रुद्राक्ष माला पर करना चाहिए। नौ अक्षरों के नवार्ण मंत्र के पहले ॐ अक्षर जोड़कर दुर्गा सप्तशती में इसे दशाक्षर मंत्र का रूप दे दिया गया है। ॐ अक्षर के साथ दशाक्षर मंत्र भी नवार्ण मंत्र की तरह ही फलदायक होता है।
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