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Navratri day 9 Maa Sidhidatri Puja महादेव को अर्द्धनारीश्वर बनानेवाली देवी, जानें कितनी फलदायक होती है मां सिद्धिदात्री की साधना

locationजयपुरPublished: Apr 21, 2021 05:59:34 am

Submitted by:

deepak deewan

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जयपुर. 21 अप्रैल को चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है यानि नवरात्र का समापन दिवस। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। नवदुर्गाओं में अंतिम रूप मां सिद्धिदात्री की नवरात्र के नौवें दिन पूजा-अर्चना करने का बहुत महत्व बताया गया है। इनकी पूजा के बिना नवरात्र पूजन और व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है। माता सिद्धिदात्री की पूर्ण विश्वास के साथ पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री अपने साधक को परम पद प्रदान करती हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में अठारह सिद्धियां बताई गई है। इधर मार्कण्डेय पुराण के अनुसार आठ सिद्धियां होती हैं। इनके नाम अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि मां सिद्धिदात्री ये सभी सिद्धियां प्रदान करनेवाली हैं। स्वयं भगवान शिव को भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। इन सिद्धियों के साथ ही मां सिद्धिदात्री नवनिधि भी प्रदान करती हैं।
इनका वाहन सिंह है। मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं जिनमें एक हाथ में भी कमलपुष्प है। महादेव और माता सिद्धिदात्री के दैविक संबंधों के बारे में देवीपुराण में विस्तार से उल्लेख किया गया है। देवीपुराण के अनुसार महादेव को अर्द्धनारीश्वर बनानेवाली माता सिद्धिदात्री ही हैं। मां सिद्धिदात्री की शिवजी पर ऐसी अनुकम्पा हुई कि देवी उनके आधे शरीर में ही समां गईं थी। तभी से शिव अर्द्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
स्तुति मंत्र
1.
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
2.
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।
हिंदी भावार्थ
हे मां! सर्वत्र विराजमान और मां सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार.बार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
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