नतीजा, यह रहा कि अब यह मंत्री, नेताओं से लेकर जनता के लिए आंख की किरकिरी बन गया। सांसद, विधायक, मंत्री किसी ने भी स्तर पर इसमें रूचि नहीं ली। जबकि दूसरे राज्यों में यही कॉरिडोर नजीर बन गया है और यहां सरकार इसे हटाने के लिए जुटी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कॉरिडोर में कमी है तो उसका रि-डवलपमेंट प्लान क्यों नहीं बनाया गया, जिससे जनता की मेहनत की कमाई जाया नहीं हो।
यहां रिडवलपमेंट से कमाई, कॉरिडोर से नहीं..!
सरकार बेशकीमती जमीनों पर बने भवन, बड़े इलाकों का तो रिडवलपमेंट प्लान तैयार कर रही है, लेकिन कॉरिडोर के लिए इस बारे में सोचा तक नहीं। चर्चा है कि भवन, इलाकों के रिडवलपमेंट से मोटी 'कमाई' की राह खुलेगी, लेकिन कॉरिडोर से नहीं।
यहां रिडवलपमेंट से कमाई, कॉरिडोर से नहीं..!
सरकार बेशकीमती जमीनों पर बने भवन, बड़े इलाकों का तो रिडवलपमेंट प्लान तैयार कर रही है, लेकिन कॉरिडोर के लिए इस बारे में सोचा तक नहीं। चर्चा है कि भवन, इलाकों के रिडवलपमेंट से मोटी 'कमाई' की राह खुलेगी, लेकिन कॉरिडोर से नहीं।
भाजपा और कांग्रेस के दो-दो राज, दोनों स्वीकार किया और फिर हाथ बांध लिए....
-वर्ष 2007- तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में कॉरिडोर की नींव रखी गई।
-वर्ष 2010- तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में कॉरिडोर शुरू किया गया। इसमें तत्कालीन केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री आए थे। सीकर रोड से शुरुआत की गई।
-वर्ष 2015- इस दौरान भाजप सरकार थी। न्यू सांगानेर रोड पर बने बीआरटीएस कॉरिडोर का उद्धाटन तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने किया।
-वर्ष 2020- मौजूदा कांग्रेस सरकार में स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल ने जनवरी, 2020 में पहली बार कॉरिडोर को हटाने का फैसला किया।
-वर्ष 2022- सरकार के निर्देश पर पीडीकोर कंपनी को कॉरिडोर की उपयोगिता का आकलन की जिम्मेदारी सौंपी। यह वही कंपनी है, जिसके निर्देशन में यही बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था।
-वर्ष 2007- तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में कॉरिडोर की नींव रखी गई।
-वर्ष 2010- तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में कॉरिडोर शुरू किया गया। इसमें तत्कालीन केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री आए थे। सीकर रोड से शुरुआत की गई।
-वर्ष 2015- इस दौरान भाजप सरकार थी। न्यू सांगानेर रोड पर बने बीआरटीएस कॉरिडोर का उद्धाटन तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने किया।
-वर्ष 2020- मौजूदा कांग्रेस सरकार में स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल ने जनवरी, 2020 में पहली बार कॉरिडोर को हटाने का फैसला किया।
-वर्ष 2022- सरकार के निर्देश पर पीडीकोर कंपनी को कॉरिडोर की उपयोगिता का आकलन की जिम्मेदारी सौंपी। यह वही कंपनी है, जिसके निर्देशन में यही बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था।
समझें : फेल होने का सबसे कारण
कॉरिडोर में केवल बीआरटी बसों संचालन होना था, जिसके लिए यहां जेएनएनयूआरएम (जवाहरलाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन) के तहत 100 बसें दी गई। इन बसों का संचालन पूरी तरह कॉरिडोर में किया जाना था, लेकिन सरकार ने शहर के अन्य रूट पर भी इनका संचालन शुरू कर दिया। इससे कॉरिडोर में नियमित अवधि में बस संचालन नहीं हो सका। बस देरी से आने लगी तो लोग भी इसमें सफर से कतराने लगे। नतीजा, कॉरिडोर की मूल भावना खत्म सी हो गई।
कॉरिडोर में केवल बीआरटी बसों संचालन होना था, जिसके लिए यहां जेएनएनयूआरएम (जवाहरलाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन) के तहत 100 बसें दी गई। इन बसों का संचालन पूरी तरह कॉरिडोर में किया जाना था, लेकिन सरकार ने शहर के अन्य रूट पर भी इनका संचालन शुरू कर दिया। इससे कॉरिडोर में नियमित अवधि में बस संचालन नहीं हो सका। बस देरी से आने लगी तो लोग भी इसमें सफर से कतराने लगे। नतीजा, कॉरिडोर की मूल भावना खत्म सी हो गई।
मकसद और हकीकत
-मकसद : सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और निजी वाहनों की तुलना में गंतव्य स्थल पर तेजी से पहुंचने के लिए बनाया गया बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था।
-हकीकत : कॉरिडोर में अपेक्षित बीआरटी बसें नहीं चलाने के कारण इसकी उपयोगिता खत्म होती गई। अब यहां दुर्घटना की स्थिति बनी हुई। इसके अलावा अलग-अलग जगह निर्माण होना भी एक कारण है।
-मकसद : सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और निजी वाहनों की तुलना में गंतव्य स्थल पर तेजी से पहुंचने के लिए बनाया गया बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था।
-हकीकत : कॉरिडोर में अपेक्षित बीआरटी बसें नहीं चलाने के कारण इसकी उपयोगिता खत्म होती गई। अब यहां दुर्घटना की स्थिति बनी हुई। इसके अलावा अलग-अलग जगह निर्माण होना भी एक कारण है।
273 में से 38 बसों का ही संचालन कॉरिडोर में
-273 बसें संचालित हो रही हैं अभी शहर में
-29 बस का संचालन किया जा रहा सीकर रोड बीआरटीएस कॉरिडोर से तीन मार्गों पर
-9 बसें ही चल रही अजमेर रोड, न्यू सांगानेर रोड कॉरिडोर से
-100 से ज्यादा बस संचालन की जरूरत हैं इन कॉरिडोर से
(जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि. बसों संचालन कर रहा है)
-273 बसें संचालित हो रही हैं अभी शहर में
-29 बस का संचालन किया जा रहा सीकर रोड बीआरटीएस कॉरिडोर से तीन मार्गों पर
-9 बसें ही चल रही अजमेर रोड, न्यू सांगानेर रोड कॉरिडोर से
-100 से ज्यादा बस संचालन की जरूरत हैं इन कॉरिडोर से
(जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लि. बसों संचालन कर रहा है)
अभी यहां है कॉरिडोर
-7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक कॉरिडोर। (निर्माण लागत 75 करोड़ रुपए)
-9 किलोमीटर लम्बाई में अजमेर रोड से किसान धर्म कांटा होते हुए न्यू सांगानेर रोड (बी-2 बायपास तिराहा) तक। (निर्माण लागत 95 करोड़ रुपए)
-7.1 किलोमीटर लम्बाई में सीकर रोड पर एक्सप्रेस-वे से अम्बाबाड़ी तक कॉरिडोर। (निर्माण लागत 75 करोड़ रुपए)
-9 किलोमीटर लम्बाई में अजमेर रोड से किसान धर्म कांटा होते हुए न्यू सांगानेर रोड (बी-2 बायपास तिराहा) तक। (निर्माण लागत 95 करोड़ रुपए)
सरकार इस तरह कर सकती है तत्काल समाधान
-सार्वजनिक परिवहन के सभी संसाधनों की संख्या आबादी के अनुपात में करें। शहरभर में इनके रूट निर्धारित हो, ऐसा एक भी मुख्य रास्ता नहीं बचे जहां सार्वजनिक परिवहन नहीं पहुंच पाए। इसके लिए जेसीटीएसएल बस सेवा, मेट्रो, ई-रिक्शा, मिनी बस सभी का समन्वय हो।
-सरकारी स्टडी रिपोर्ट में चिन्हित रूट पर यात्रियोें की संख्या और उसी आधार पर परिवहन सुविधा का आकलन कर काम शुरू करें।
-सार्वजनिक परिवहन के सभी संसाधनों की संख्या आबादी के अनुपात में करें। शहरभर में इनके रूट निर्धारित हो, ऐसा एक भी मुख्य रास्ता नहीं बचे जहां सार्वजनिक परिवहन नहीं पहुंच पाए। इसके लिए जेसीटीएसएल बस सेवा, मेट्रो, ई-रिक्शा, मिनी बस सभी का समन्वय हो।
-सरकारी स्टडी रिपोर्ट में चिन्हित रूट पर यात्रियोें की संख्या और उसी आधार पर परिवहन सुविधा का आकलन कर काम शुरू करें।