ग्रासरूट पर नहीं इम्प्लीमेंटेशन के वक्त पता चलता है
उन्होंने कहा कि पर्सनल सिक्योरिटी, ह्यूमन राइट्स, क्वालिटी एजुकेशन, हैल्थ जैसे इम्पॉर्टेंट एलीमेंट्स सभी पब्लिक पॉलिसी का हिस्सा है। इंडिया में आमतौर पर कोई पॉलिसी बनने के बाद लोगों को पता चलता है। ग्रासरूट की बजाय इम्प्लीमेंट होने के टाइम लोगों को इसकी जानकारी दी जाता है। इसके लिए एजुकेशन सबसे बड़ा फैक्टर है। पहली बात तो लोग अवेयर नहीं होते हैं और जिन्हें पता होता है, वे लोग इंटरेस्ट नहीं लेते हैं। इंडिया जैसे ग्रोइंग कंट्री में पब्लिक पॉलिसी को लेकर आज अवेयरनेस लाने की जरूरत है।
रॉबट्र्स ने कहा कि सोसायटी के साथ एजुकेशन में भी इनोवेशन होने चाहिए। यूएस में पब्लिक पॉलिसी में लोगों का पार्टिसिपेशन रहता है। हालांकि पॉपुलेशन यहां एक बड़ा ड्रॉ बैक है। लोगों को एजुकेट करके ही अवेयरनेस लाई जा सकती है। जेकेएलयू के वाइस चांसलर आरएल रैना ने कहा कि वर्तमान में पब्लिक पॉलिसी एक्सपट्र्स की ग्लोबली काफी डिमांड है। वहीं प्रो-वाइस चांसलर आशीष गुप्ता ने भी अपने विचार रखे।