सुशीला ने बताया कि गांव में खेलने के साधन नहीं थे। हमारे पास जूते भी नहीं हुआ करते थे। घर के सारे काम करने पड़ते थे, दूर से कुएं से पानी भरकर लाना पड़ता था। इसके बाद भी हम दोनों बहनें खेलती रही। जिसमें हमारे पिता राजेन्द्र सिंह ने पूरा साथ दिया, वहीं हमारे कोच थे। उनकी मेहनत की वजह से ही हम दोनों बहनें 1988 से 1999 तक राजस्थान की स्टेट चैम्पियन रही। सरोज 1988 से 1995 तक राजस्थान चैम्पियन बनी। वहीं सुशीला 1995 से 1999 तक चैम्पियन रही। इस दौरान ऐसे कई मौके आए जब दोनों बहनें फाइनल में एक दूसरे के आमने-सामने हुई। इसके अलावा दोनों ने डबल्स में जोड़ी बनाकर भी बैडमिन्टन चैम्पियनशिप जीती है।
हर मैच में पिता या बहन रहती है साथ सुशीला ने बताया कि पिता ही हमारे कोच थे। वे हर मैच में हमारे साथ रहते थे और बताते रहते थे। वहीं उनके जाने के बाद अब हम दोनों बहनें एक-दूसरे के साथ रहती हैं। सरोज ने कहा कि 45 वर्ष की उम्र के बाद भी अभी खेलने का जज्बा है। हम दोनों बहनों के जब तक घुटने साथ देंगे तब तक हम खेलती रहेंगी।
सुशीला की उपलब्धियां
— अंडर 12 कोलाकाता में खेला।
— हॉलैण्ड में वल्र्ड मास्टर बैडमिन्टन में तीसरे राउंड में पहुंची
— गोवा में चैम्पियनशिप में तीसरे स्थान पर रही
— मास्टर्स में बैंगलोर मेे चैम्पियन बनी
— पौलेण्ड में चैम्पियनशिप खेली
— सीनियर — जूनियर में दोनों ने राजस्थान से खेला