पत्रिका के पास बातचीत की रिकॉर्डिंग कट ऑफ अंक कम किए जाने के बाद अभिभावकों के पास एजेंटों के फोन पहुंच रहे हैं। एजेंट फोन पर निजी कॉलेज में प्रवेश के लिए मनमानी राशि की मांग कर रहे हैं। पत्रिका के पास बातचीत की रिकॉर्डिंग है। अभिभावकों का आरोप है कि निजी कॉलेजों की मांग पर कट ऑफ का प्रतिशत कम किया गया है।
इस तरह दे रहे अभिभावकों को झांसा अभिभावक – आपका मैसेज मिला, ऐनेस्थीसिया में आप एडमिशन करा रहे हैं अभी? एजेंट- ऐनेस्थीसिया का पैकेज रिवाइज हो गया है, अब 50 लाख हो गया है, राजस्थान में मिलेगा।
अभिभावक- आपने मैसेज किया था, जिसमें 40 लाख रुपए दिया था। एजेंट- कट ऑफ कम हो गई है, कॉलेज की रेट बढ़ गई है, अब हम क्या कर सकते हैं, मैंने तो कहा था कि आप रजिस्ट्रेशन करा लीजिए।
अभिभावक- स्टूडेंट कहीं का भी हो सकता है क्या? एजेंट- कहीं का भी हो सकता है स्टूडेंट, मैंने एसएमएस में लिख दिया था कि आपका रजिस्ट्रेशन है तो कहीं जाने की जरूरत नहीं है, आपका सारा काम हो जाएगा।
अभिभावक-अब हम क्या कर सकते हैं? एजेंट- सीधा कॉलेज में ही आपका सारा काम हो जाएगा। न्यूनतम प्राप्तांक प्रतिशत को किया 6 प्रतिशत कम
श्रेणी —- ————–पहले कट ऑफ —- ————संशोधित कट ऑफ
सामान्य वर्ग ——— 340 अंक-50 परसेंटाइल ——-313 अंक-44 प्रतिशत
आरक्षित वर्ग ———295 अंक-40 परसेंटाइल ——-270 अंक-34 परसेंटाइल
डिसेबल श्रेणी———- 317 अंक-45 परसेंटाइल ——-291 अंक-39 परसेंटाइल
श्रेणी —- ————–पहले कट ऑफ —- ————संशोधित कट ऑफ
सामान्य वर्ग ——— 340 अंक-50 परसेंटाइल ——-313 अंक-44 प्रतिशत
आरक्षित वर्ग ———295 अंक-40 परसेंटाइल ——-270 अंक-34 परसेंटाइल
डिसेबल श्रेणी———- 317 अंक-45 परसेंटाइल ——-291 अंक-39 परसेंटाइल
पैकेज बढ़े तो फिर नहीं ले पाएंगे प्रवेश अभिभावकों के अनुसार पैकेज में बढोत्तरी करने से कट ऑफ में आने वाले विद्यार्थी भी कम बजट में आने के कारण प्रवेश नहीं ले पाते। जबकि कट ऑफ कम की ही नहीं जा सकती। 2003 में भी ऐसे ही मामले को बाद में कोर्ट ने गलत ठहराया था।