इन जिलों में शुरू होना था अभियान
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में पहले चरण में सम्मिलित जिलों में 21 सितंबर से 4 नवंबर तक एनएडीसीपी एफएमडी वैक्सीनेशन ड्राइव होना था। पहले चरण में उदयपुर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़, सवाई माधोपुर, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी, बारां, झालावाड़, कोटा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालौर, सिरोही में अभियान शुरू किया जाना था, लेकिन अभियान शुरू होने से ठीक तीन दिन पहले ही टीके अमानक निकलने के कारण अभियान पर रोक लगानी पड़ी थी।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में पहले चरण में सम्मिलित जिलों में 21 सितंबर से 4 नवंबर तक एनएडीसीपी एफएमडी वैक्सीनेशन ड्राइव होना था। पहले चरण में उदयपुर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़, सवाई माधोपुर, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी, बारां, झालावाड़, कोटा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालौर, सिरोही में अभियान शुरू किया जाना था, लेकिन अभियान शुरू होने से ठीक तीन दिन पहले ही टीके अमानक निकलने के कारण अभियान पर रोक लगानी पड़ी थी।
टीकाकरण के लिए देना होता है शुल्क
जानकारी के मुताबिक केंद्र प्रवर्तित यह योजना पूरे देश में निशुल्क संचालित की जा रही है, लेकिन प्रदेश में इसके लिए पशुपालकों से दो रुपये प्रति पशु शुल्क वसूला जा रहा है। 12 अक्टूबर से चल रहे अभियान के तहत अब तक लाखों पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है , ऐसे में जो टीके पशुओं को लगाए गए थे , वह अमानक होने के कारण किसी भी रोग को रोकने में कारगर साबित नहीं होंगे। जब भी विभाग मेडिसिन खरीदता है उसी समय दवाओं की जांच नहीं की जाती। हर बार दवाओं के पशुओं में प्रयोग होने के बाद अमानक सिद्ध हो जाती है। ऐसे में मूक पशुओं को उनसे कोई फायदा नहीं मिलता।
जानकारी के मुताबिक केंद्र प्रवर्तित यह योजना पूरे देश में निशुल्क संचालित की जा रही है, लेकिन प्रदेश में इसके लिए पशुपालकों से दो रुपये प्रति पशु शुल्क वसूला जा रहा है। 12 अक्टूबर से चल रहे अभियान के तहत अब तक लाखों पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है , ऐसे में जो टीके पशुओं को लगाए गए थे , वह अमानक होने के कारण किसी भी रोग को रोकने में कारगर साबित नहीं होंगे। जब भी विभाग मेडिसिन खरीदता है उसी समय दवाओं की जांच नहीं की जाती। हर बार दवाओं के पशुओं में प्रयोग होने के बाद अमानक सिद्ध हो जाती है। ऐसे में मूक पशुओं को उनसे कोई फायदा नहीं मिलता।
पहले भी अमानक निकले टीके
आपको बता दें कि एक ही साल में कई दवाइयां और टीके अमानक निकल चुके हैं।
7 जुलाई 2020: मेट्रोनिडाजोल का बैच अमानक
18 सितंबर 2020 : ब्रिलियेंट बायोफार्मा के टीके मिले अमानक
9 अक्टूबर 2020 : एमएफ 17 इंट्रामेमेरी ट्यूब औषधि अमानक पाई गई
21 नवंबर 2020 : दो औषधि अमानक पाई गई।
सवाल जो मांगते हैं जवाब : समस्त औषधि कब कब खरीदी गई? औषधि भण्डार से औषधि को पशुचिकित्सालय,पशुचिकित्सा उपकेन्द्रों और औषधालयों में ज्यादातर वितरित भी कर दी गई थी उनका उपयोग पशुओं में कर भी दिया गया। आखिर मूक पशुओं के साथ अत्याचार क्यों?
: पूर्व में एक बार खुरपका मुंहपका के टीके ओर दो बार औषधियाँ अमानक निकली तथा हाल ही में फिर एक बार खुरपका मुंहपका के टीके ओर एक औषधि अमानक निकली है, इससे पूर्व में 17 फरवरी वर्ष 2018 में पशुओं में बाह्य परजीवी जू, चिचड़ी मारने की एक्टोपैरासाइट दवाई विभाग ने खरीदी थी। विभाग ने खरीद के मुताबिक भुगतान भी किया लेकिन मापने पर मात्रा कम पाई गई थी? लगातार पशुपालन विभाग में इन दवाईयों का घोटाला उजागर क्यों हो रहा है?
: जब भी विभाग मेडिसिन खरीदता है तो तभी उनकी मानकता की जांच क्यों नहीं की जाती। औषधि वितरण और पशुओं में प्रयोग करने के बाद अमानक हो जाती है, यह विभाग की कौनसी प्रक्रिया है ?
: अतिरिक्त निदेशक दवा प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी क्या है? : पूर्व में भी ब्रिलिऐंट बायोफार्मा की ओर से प्राप्त वैक्सीन से एफएमडी टीकाकरण अभियान के चरण राजस्थान राज्य में सम्पन्न हुए हैं। जिस दौरान टीकाकरण करने के पश्चात भी पशुओं में खुरपका व मुंहपका रोग के लक्षण देखने को मिले थे। ऐसे में सवाल उठता है कि पूर्व में भी उचित गुणवत्ता के टीके उपलब्ध नहीं करवाए गए थे।
: उत्तरप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में केन्द्रीय राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एफएमडी टीकाकरण निशुल्क किया जाता है जबकि राजस्थान राज्य में पशुपालकों से दो रुपए टीके के वसूले जाते हैं। इनका कहना है,
गुणवत्ताविहीन वैक्सीन लगाए जाने से किसानों और पशुपालकों में आक्रोश है। दोबारा उनका विश्वास हासिल करना मुश्किल है। वैक्सीन निर्माता कंपनी और जिम्मेदार अधिकारी पर पशु क्रूरता का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। कोरोना काल में बिना बचाव के संसाधनों के पशु चिकित्सा कर्मचारियों ने फील्ड में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए कार्य किया। ४० दिन तक विभाग की मानव संसाधन की मेहनत व्यर्थ गई है उसकी वसूली वैक्सीन निर्माता कंपनी से की जानी चाहिए।
अजय सैनी, प्रदेशाध्यक्ष
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ……………….. औषधि भण्डार से औषधि को पशुचिकित्सालय,पशुचिकित्सा उपकेन्द्रों और औषधालयों में ज्यादातर वितरित भी कर दी गई थी एंव ज्यादातर इन औषधियों का उपयोग पशुओं में कर भी दिया गया आखिर मूक पशुओं के साथ अत्याचार क्यों ?
बनवारी लाल, प्रदेशाध्यक्ष
राजस्थान पशु चिकित्सा तकनीकी कर्मचारी संघ
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ……………….. औषधि भण्डार से औषधि को पशुचिकित्सालय,पशुचिकित्सा उपकेन्द्रों और औषधालयों में ज्यादातर वितरित भी कर दी गई थी एंव ज्यादातर इन औषधियों का उपयोग पशुओं में कर भी दिया गया आखिर मूक पशुओं के साथ अत्याचार क्यों ?
बनवारी लाल, प्रदेशाध्यक्ष
राजस्थान पशु चिकित्सा तकनीकी कर्मचारी संघ
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प्रथम फेज के 15 जिलों में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम अमानक गुणवत्ता के टीकों के कारण स्थगित हो गया था। ड्रग कंट्रोलर की रिपोर्ट के आधार पर दवा का उपयोग रोका जाता है। दवा का रिप्लेसमेंट कॉन्ट्रेक्टर अपने खर्च पर करेगा साथ ही उस पर पांच फीसदी पैनल्टी भी लगाई जाएगी।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, निदेशक,
पशुपालन विभाग।
प्रथम फेज के 15 जिलों में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम अमानक गुणवत्ता के टीकों के कारण स्थगित हो गया था। ड्रग कंट्रोलर की रिपोर्ट के आधार पर दवा का उपयोग रोका जाता है। दवा का रिप्लेसमेंट कॉन्ट्रेक्टर अपने खर्च पर करेगा साथ ही उस पर पांच फीसदी पैनल्टी भी लगाई जाएगी।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, निदेशक,
पशुपालन विभाग।