जयपुर

लापरवाही: राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र की मौत के डेढ़ साल बाद अब मिली बीमा राशि

राजस्थान यूनिवर्सिटी ( Rajasthan University ) में विद्यार्थी समूह बीमा योजना ( Group Insurance Scheme ) के तहत लेटलतीफी से मृतक छात्र-छात्रा के परिजनों या दुर्घटना में घायल होने वाले छात्र-छात्राओं को बीमा राशि देरी से मिल रही है।

जयपुरNov 07, 2019 / 07:19 pm

Arvind Palawat

लापरवाही: राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र की मौत के डेढ़ साल बाद अब मिली बीमा राशि

जयपुर। राजस्थान यूनिवर्सिटी ( Rajasthan University ) में विद्यार्थी समूह बीमा योजना ( Group insurance scheme ) के तहत लेटलतीफी से मृतक छात्र-छात्रा के परिजनों या दुर्घटना में घायल होने वाले छात्र-छात्राओं को बीमा राशि देरी से मिल रही है। हालात यह है कि मार्च, 2018 में स्टूडेंट की मौत होने के बाद उसके नॉमिनी को राशि करीब डेढ़ साल से ज्यादा समय गुजरने के बाद अब मिल रही है। बीमा कंपनी और प्रशासन की अनदेखी के कारण समय पर यह राशि नहीं मिलने से परिजनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
दरअसल, राजस्थान यूनिवर्सिटी के विभागों और संघठक कॉलेजों में नियमित रूप से अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए एक समूह बीमा योजना सालों पहले शुरू हुई थी। छात्र कल्याण अधिष्ठाता कार्यालय की ओर से यह बीमा संबंधी कार्य कराया जाता है। इसके लिए एक निश्चित प्रमियम राशि छात्र-छात्राओं से प्रवेश के समय ही ले ली जाती है। एेसे में छात्र की दुर्घटना या उसकी मौत होने पर बीमा की राशि उन्हें दी जाती है। लेकिन हालात यह है कि बीमा राशि से जुड़े कई केस आज भी पेंडिंग पड़े है।
अब मिली बीमा की राशि
राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्राणीशास्त्र विभाग के तृतीय सेमेस्टर के छात्र तपेंद्र कुमार की मौत 4 मार्च, 2018 को एक सड़क हादसे में हो गई थी। यह हादसा धौलपुर से सैंपऊ के रास्ते में दुबेपुरा मोड़ के पास हुआ था। जिसमें रात करीब 11 बजे ट्रेक्टर की टक्कर से छात्र की मौत हो गई थी। छात्र के पिता ओमप्रकाश को गुरूवार को इस बीमित राशि साढ़े पांच लाख रुपए का चैक कुलपति सचिवालय में सौंपा गया। इस दौरान कुलपति प्रोफेसर आर. के. कोठारी, रजिस्ट्रार हरफूल सिंह यादव, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. करतार सिंह मीणा और छात्रसंघ अध्यक्ष पूजा वर्मा भी मौजूद थे।
आगे से इन प्रकरणों का होगा त्वरित निस्तारण: डॉ. मीणा
छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. करतार सिंह मीणा ने बताया कि छात्र के परिजनों की ओर से दस्तावेज कुछ देरी से बीमा कंपनी को सौंपे गए थे। बीमा कंपनी की ओर से क्लेम राशि का चैक पिछले दिनों ३० सितंबर को मिल चुका था, लेकिन परिजन अब पहुंचे है। ऐसे में उन्हें गुरूवार को चैक सौंपा गया। हालांकि डॉ. मीणा ने माना कि डेढ़ साल बाद बीमा राशि मिलना गंभीर बात है। उन्होंने कहा कि आगे से बीमा कंपनी के साथ ही सभी विभागों और कॉलेजों से पत्र व्यवहार कर यह प्रयास किया जाएगा कि किसी भी छात्र-छात्रा के साथ ऐसी दुर्घटना घटित होती है तो उसके परिजनों को तत्काल बीमा की राशि मिले।
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