scriptनए कृषि कानून किसान विरोधी, सरकार संशोधन करें: पायलट | new agricultural laws are anti-farmer, government should amend: Pilot | Patrika News

नए कृषि कानून किसान विरोधी, सरकार संशोधन करें: पायलट

locationजयपुरPublished: Sep 16, 2020 04:22:41 pm

Submitted by:

rahul

प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केन्द्र सरकार द्वारा कृषि एवं कृषि व्यापार से संबंधित तीन कानूनों को कृषि एवं किसान विरोधी बताया हैं।

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जयपुर। प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने केन्द्र सरकार द्वारा कृषि एवं कृषि व्यापार से संबंधित तीन कानूनों को कृषि एवं किसान विरोधी बताया हैं। पायलट ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि राजनीतिक दलों, किसान संगठनों, मण्डी व्यापारियों और कृषि विशेषज्ञों से विस्तृत चर्चा कर इन कानूनों में संशोधन पर विचार करें जिससे देश के किसान की वास्तविक दशा में बदलाव आ सकें।
पायलट ने कहा कि कोरोना काल में अध्यादेशों के माध्यम से उक्त कानून लागू किए है, जबकि ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं थी। उन्होंने कहा कि कृषि राज्य का विषय है जबकि केन्द्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों से किसी प्रकार की सलाह नहीं ली। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किसान संगठनों एवं राजनैतिक दलों से भी इस सम्बन्ध में कोई राय-मशविरा नहीं किया गया।
किसान विरोधी मोदी सरकाऱ
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार प्रारम्भ से ही किसान विरोधी रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही किसानों के लिए भूमि मुआवजा कानून रद्द करने के लिए एक अध्यादेश प्रस्तुत किया। परन्तु राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एवं किसानों के विरोध के कारण मोदी सरकार को पीछे हटना पड़ा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इन तीन नए कानूनों से किसान, खेत-मजदूर, कमीशन एजेंट, मण्डी व्यापारी सभी पूरी तरह से समाप्त हो जायेंगे।
उन्होंने कहा कि एपीएमसी प्रणाली के समाप्त होने से कृषि उपज खरीद प्रणाली समाप्त हो जायेंगी। किसानों को बाजार मूल्य के अनुसार न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और न ही उनकी फसल का मूल्य। उन्होंने कहा कि यह दावा सरासर गलत है कि अब किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार देश में 86 प्रतिशत किसान 5 एकड से कम भूमि के मालिक है। ऐसी स्थिति में 86 प्रतिशत अपने खेत की उपज को अन्य स्थान पर परिवहन या फेरी नहीं कर सकते हैं। इसलिए उन्हें अपनी फसल निकट बाजार में ही बेचनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि मण्डी सिस्टम खत्म होना किसानों के लिए बेहद घातक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि अनाज-सब्जी बाजार प्रणाली की छंटाई के साथ राज्यों की आय का स्त्रोत भी समाप्त हो जाएगा।
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