नए जिलाध्यक्षों के नामों का प्रस्ताव बनाकर आलाकमान को भेजा गया है। आलाकमान की मंजूरी के बाद नए जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा हो जाएगी। दरअसल विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस में आधा दर्जन जिलों में नए जिलाध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठने लगी थी। इसकी एक वजह ये भी थी कि पार्टी ने कई जिलाध्यक्षों को विधानसभा चुनाव लड़ाया था, विधानसभा चुनाव में पार्टी के कई जिलाध्यक्ष चुनाव जीतकर विधायक बन चुके हैं, तथा तीन जिलाध्यक्ष सरकार में मंत्री हैं। जो दोहरी भूमिका में हैं।
एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत का फॉर्मूला
विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी के भीतर एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के पार्टी के फॉर्मूले के तहत भी नए जिलाध्यक्ष बनाए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया था। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भी आला नेताओं के समक्ष इस मांग को कई बार उठाया था, जिसके बाद जिलाध्यक्षों के लिए नए नामों की खोज पार्टी के भीतर तेज हो गई। पार्टी ने जिन जिलाध्यक्षों को चुनाव लड़ाया था, उनमें प्रताप सिंह खाचरियावास जयपुर, डॉ जितेंद्र सिंह, झुंझुंनूं, टीकाराम जूली- अलवर, राजेंद्र सिंह यादव- जयपुर देहात थे। इनमें प्रताप सिंह खाचरियावास गहलोत सरकार में केबिनेट मंत्री, टीकाराम जूली और राजेंद्र यादव को राज्यमंत्री और जितेंद्र सिंह खेतड़ी से विधायक हैं।
धौलपुर-बूंदी जिलाध्यक्षों ने की पार्टी से बगावत
वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में पार्टी के दो जिलाध्यक्षों ने कांग्रेस से बगावत कर ली थी। धौलपुर कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक शर्मा ने पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं बूंदी के जिलाध्यक्ष सीएल प्रेमी ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर केशोरायपाटन से निर्दलीय चुनाव लड़ लिया था, जिसके बाद सीएल प्रेमी को कांग्रेस से निकाल दिया गया था। इसके बाद से ही धौलपुर और बूंदी में जिलाध्यक्षों के पद रिक्त हैं।
इनका कहना है
हां नए जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों का प्रस्ताव बनाकर आलाकमान को भेज दिया है, शीघ्र ही घोषणा कर देंगे।
विवेक बंसल, सह प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस
हां नए जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों का प्रस्ताव बनाकर आलाकमान को भेज दिया है, शीघ्र ही घोषणा कर देंगे।
विवेक बंसल, सह प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस