स्कॉलरशिप की परवाह नहीं राइटर मंगलेश डबराल ने बताया कि ‘मैंने सुरेन्द्र का आर्ट के प्रति खास जुनून लखनऊ से देखा है। उन्हें तब वहां के टीचर अपना स्टूडेंट बनाना चाहते थे, लेकिन वे ग्राफिक में जाना चाहते थे। अन्य टीचर्स ने सुरेन्द्र को समझाते हुए कहा था कि यदि तुमने ग्राफिक विषय लिया तो तुम्हारी स्कॉलरशिप बंद हो जाएगी। तब सुरेन्द्र ने स्कॉलरशिप को छोड़ते हुए ग्राफिक को सलेक्ट किया था।
आर्ट पर अब किससे होगा डिस्कशन वरिष्ठ चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय ने कहा कि जोशी से पहली मुलाकात लखनऊ में हुई थी, जब वे वहां आर्ट कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। अब सोचता हूं कि कला पर चर्चा किससे किया करूंगा? जब मैंने स्कूल ऑफ आर्ट से वॉलेंटियरी रिटायरमेंट लिया तो अगले दिन ही जोशी ने भी अपने रिटायरमेंट का प्लान बना लिया। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपनी आर्टिस्टिक स्टाइल में प्रयोग करते हुए कंटेम्परेरी आर्ट में नए कीर्तिमान स्थापित किए।