जयपुर

अब फसल खुद बताएगी, कब करनी है सिंचाई

New Research : किसानों के लिए पानी की बचत करके अच्छी पैदावार हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं होता।

जयपुरDec 13, 2019 / 06:33 pm

Ashish

अब फसल खुद बताएगी, कब करनी है सिंचाई

जयपुर
new research : किसानों के लिए पानी की बचत करके अच्छी पैदावार हासिल करना किसी चुनौती से कम नहीं होता। जिन इलाकों में पानी की कमी है, वहां सिंचाई करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इतना ही नहीं, जहां सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है, वहां जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करने से ना केवल पानी बर्बादी होती है, बल्कि जरूरत से ज्यादा पानी फसलों के लिए बेकार होता है। इन स्थितियों को देखते हुए अब एक ऐसी नई तकनीक विकसित की गई है। जिसमें फसल खुद बताएगी कि उसे कब सिंचाई की जरूर है। स्पेस तकनीक की मदद से आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत किए गई अध्ययन में सफलता प्राप्त की है।

दरअसल, अब फसल का तापमान बताएगा कि सिंचाई की अभी जरूरत है या नहीं। अगर सिंचाई की जरूरत होगी तो फसल में पानी दे दिया जाएगा और जरूरत नहीं होगी तो बेकार में पानी बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ गांवों पर करीब एक साल तक शोध किया है। शोध के आंकड़ों के विश्लेषण से एक मैप तैयार किया गया है। इस मैप के आधार पर फसलों में तय मात्रा में सिंचाई करके पानी की बचत की जा सकती है। आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर राजीव सिन्हा के मुताबिक ज्यादातर किसानों को इस बात का पता ही नहीं होता है कि उन्हें फसल में कितना पानी देना चाहिए।

बर्बाद होने से बचेगा पानी
आपको बता दें कि देश में करीब 80 फीसदी पानी का उपयोग खेती में किया जा रहा है, जबकि इतने पानी की जरूरत ही नहीं होती है। खेतों में जरूरत से ज्यादा सिंचाई से होने वाली पानी की बर्बादी को रोकने के लिए यह शोध किया गया। इसके तहत आईआईटी कानपुर अर्थ साइंस विभाग के वैज्ञानिकों ने खेतों में जाकर मिट्टी से लेकर फसल तक का तापमान, आर्द्रता समेत अन्य जरूरी रिकॉर्ड एकत्रित किए। फिर यूके के वैज्ञानिकों ने स्पेस टेक्नोलॉजी के जरिए डाटा अलग-अलग स्थानों, दिनों और फसल के हिसाब से एकत्र किया। प्रो. सिन्हा के मुताबिक दोनों डाटा के एनालिसिस के बाद एक मैप तैयार किया गया है। इस मैप के हिसाब से अगर खेती की जाएगी तो पानी की बचत होगी। इस तकनीक से खेती में पैदावार भी अच्छी होगी।

जरूरत से ज्यादा सिंचाई से नुकसान
विशेषज्ञों का यह कहना है कि आर्द्रता से पैदावार पर फर्क पड़ता है। आर्द्रता ज्यादा होने पर सिंचाई से पैदावार कम होती है। खेतों में पानी की जरूरत तापमान के अनुसार होती है। हवा के साथ ही फसल का भी अपना तापमान होता है। अगर फसल में आर्द्रता अधिक है तो उसे पानी की जरूरत ज्यादा नहीं पड़ती है। लेकिन आर्द्रता अधिक होने पर अगर किसान ज्यादा सिंचाई कर देते हैं तो इससे पैदावार पर विपरीत असर पड़ता है। ऐसा करने से न केवल पानी की बर्बादी होती है बल्कि उपज की पैदावार भी कम होती है।

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