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क्या होता है जब कोई आकाश गंगा नष्ट होती है

locationजयपुरPublished: Jul 06, 2019 07:55:41 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

क्या होता है जब कोई आकाश गंगा नष्ट होती हैजयपुर। अंतरिक्ष में लाखों आकाश गंगाएं हैं और हमारा ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है। अंतरिक्ष विज्ञानियों के अनुसार आकाश गंगाएं भी बनती और नष्ट होती हैं। हम जिस आकाशगंगा में रहते हैं उसके नष्ट होने में अभी कुछ अरब साल का समय है। हमारी आकाशगंगा एक चमकती हुई disc की तरह है जो अपने सबसे निकटतम पड़ोसी गैलेक्सी एंड्रोमेडा नाम की एक सर्पीलीकार आकाशगंगा से टकराकर नष्ट हो जाएगी।

यह टक्कर इतनी जबरदस्त होगी कि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इससे उत्पन्न धमाके की ऊर्जा दोनों आकाशगंगाओं के केंद्रों पर black hole बना देगा। इस से सूरज के धरातल पर चलने वाली बेहद गर्म क्वासर नाम की गैस का उत्पादन होगा। पृथ्वी से कई लाख प्रकाश वर्ष दूर क्वासर शुरू में अंतरिक्ष में एक शानदार नीले प्रभामंडल के रूप में दिखाई देगी जो तारों और ग्रहों की चमक को भी फीकी कर देगी। तब सूरज, चांद और वायुमंडल जैसे जीवन देने वाले सभी प्रयाय खत्म हो जाएंगे। और एक नई आकाशगंगा का जन्म होगा। इसका सीधा सा अर्थ है कि अरबों साल के जीवन के बाद सभी आकाशगंगाएं नष्ट हो जाती हैं। कम से कम खगोल वैज्ञानिक तो ऐसा ही मानते हैं। लेकिन अभी तक किसी भी वैज्ञानिक ने आकाशगंगा के इस निर्वाण को अपनी आंखों से नहीं देखा है।

क्वासर खोजने का दावा
हाल ही सेंट लुइस में अमरीकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत अपने शोध में खगोलविद एलिसन किर्कपैट्रिक ने ऐसी 22 तत्वों को खोज लेने का दावा किया है जिनसे क्वासर का निर्माण होता है। वे इसे कोल्ड क्वासर कहती हैं। एलिसन का कहना है कि आकाशगंगा के केन्द्र के नजदीक उन्होंने ऐसे चमकदार पिंडों की खोज की है जो बेहद चमकदार हैं और अपने अंत के करीब हैं। लेकिन उन पर अब भी धूल और गैस से बने ठंडे बादलों की उपस्थिति यह बताती है कि यह अब भी नए तारामंडल को जन्म देने में सक्षम है। कंसास विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर एलिसन कहती हैं कि आज भी खगोलविज्ञान में वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि किसी आकाशगंगा का अंत कैसे होता है? इस संबंध में हमारी जानकारी लगभग शून्य है।

आकाशगंगाएं भी होती हैं रिटायर
एलिसन का कहना है कि शुरुआती अध्ययनों से पता चला है कि आकाशगंगाएं भी अपने शुरुआती सितारे रूपी स्वरूप से विशालकाय आकाशगंगा में बदलती हैं और अंत में अपने सेवानिवृत्ति के चरण (नष्ट होने) की ओर बढ़ती हैं। उन्होंने बताया कि इसकी खोज आकाशगंगा में सबसे चमकीली वस्तुओं की खोजबीन के दौरान हुई। वैज्ञानिकों ने पाया कि black hole से निकलने वाली एक्से-रे किरणें बिल्कुल वैसी ही उच्च विकिरण वाली थीं जैसी बड़े पैमाने पर क्वासर से निकलती हैं। एलिसन का अगला कदम यह पता लगाना है कि कोई आकाशगंगा किस गति से गैस और धूल का उत्सर्जन करती है। इससे यह पता चल सकेगा कि कोल्ड क्वासर अवस्था में आकाशगंगाएं कब तक रहती हैं। एलिसन ने बताया कि खगोलविज्ञान में कितनी भी कोशिश कर लें हम रियल टाइम में किसी भी खगोलीय प्रक्रिया को नहीं देख सकते। इसलिए वैज्ञानिक विभिन्न आकाशगंगाओं की तस्वीरों को जोड़कर निष्कर्ष निकालते हैं।
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