मिली जानकारी के मुुताबिक शेखर नाम की गुलदाउदी की यह वैरायटी गुलदाउदी की देर से खिलने वाली किस्मों में से एक है, जिसके फूल दिसंबर के अंत से खिलना शुरू होते हैं जो कि फरवरी के मध्य तक खिलते रहते हैं। यह देखने में भी काफी आकर्षक है। घने कोहरे और ठंड के कारण जहां अधिकतर फूल के पौधे मुरझा जाते हैं लेकिन यह नई वैरायटी तेज सर्दी के बावजूद खिलखिलाती रहती है। ऐसे में इसे काफी पसंद किया जा रहा है। इसका रंग भी काफी आकर्षक है। इसका रंग गुलाबी है।
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों के मुताबिक गुलदाउदी की इस नई किस्म के फूल गुलाबी रंग के होते हैं। इसका आकार मुकुट की तरह होता है। इसके फूलों की पंखुड़ियां मुड़ी हुई होती हैं। जिसके कारण यह सामान्य गुलदाउदी फूलों से अलग दिखाई देती है। यह काफी आकर्षक है। गुलदाउदी की इस नई किस्म के पौधों की आकार भी अलग है। इसकी ऊंचाई करीब 60 सेंटीमीटर है और व्यास करीब 9.5 सेंटीमीटर तक होता है। एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अरविंद जैन ने बताते हैं कि पौधों के गुणों के लिए जिम्मेदार जीन्स का पता लगाने के लिए उनका अनुवांशिक और आणविक स्तर पर अध्ययन किया जाता है। इसी तरह के एक अध्ययन में यह नई किस्म विकसित की गई है।
गामा किरणों के जरिए विकास
आपको बता दें कि यह नई वैरायटी गुलदाउदी की सु-नील नामक प्रजाति में गामा विकिरण के जरिए अनुवांशिक संशोधन करके विकसित की गई है। आजकल वैज्ञानिक गामा किरणों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में अनुसंधान में जुटे हुए हैं। गुलदाउदी की देर से खिलने वाली अन्य प्रमुख किस्मों की बात करें तो इनमें सीएसआईआर-75, आशा किरण, गौरी, गुलाल, पूजा, वसंतिका, माघी व्हाइट शामिल हैं। इन सभी किस्मों पर दिसंबर से फरवरी के मध्य फूल खिलते हैं। जबकि, कुंदन, जयंती, हिमांशु और पुखराज गुलदाउदी की सामान्य सीजन की किस्में हैं। इन किस्मों में आमतौर पर नवंबर से दिसंबर के बीच फूल खिलते हैं। एनबीआरआई की ओर से गुलदाउदी की करीब 230 किस्में विकसित की जा चुकी हैं। इनमें विभिन्न आकार एवं रंगों की गुलदाउदी किस्में शामिल हैं।
इसलिए भी फायदेमंद
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ अरविंद जैन के मुताबिक गुलदाउदी के विविध रूप एवं रंगों की वजह से इसकी मांग काफी अधिक है और इसके फूलों को लोग अपने बगीचों और घरों में लगाना पसंद करते हैं। आधा इंच की दूरी पर गुलदाउदी की कटिंग लगाएं तो एक वर्ग मीटर के दायरे में करीब एक हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। किसान इन पौधों को 10 रुपये की दर से बेचकर बेहद कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।