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शासन की ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं स्वतः सार्वजनिक हो: सूचना आयोग

locationजयपुरPublished: Oct 01, 2018 07:25:53 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

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rajasthan information commission
जयपुर। देशभर के सूचना आयोगों ने सूचना का अधिकार अधिनियम की मूल भावना के तहत पारदर्शिता व लोकहित को प्राथमिकता देते हुए ज्यादा से ज्यादा सूचनाओं को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) (क), (ख) और 4 (2) के तहत स्वतः सार्वजनिक करने की करने की आवश्यकता प्रकट की है। जयपुर में सूचना आयोगों के संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इन्फॉर्मेशन कमीशन इन इंडिया (एनएफआईसीआई) की दो दिवसीय कार्यशाला में यह संकल्प लिया गया।
राजस्थान राज्य सूचना आयोग के संयोजन में 28 व 29 सितम्बर को आयोजित इस कार्यशाला की अध्यक्षता केन्द्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने की। इसमें देशभर के 16 राज्यों से 15 मुख्य सूचना आयुक्तों और 5 सूचना आयुक्तों ने भाग लिया।
कार्यशाला के पांच सत्रों में मुख्य बिन्दु
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत सूचना की प्रभावी अदायगी के लिए स्वतः प्रकटन, प्रथम अपीलीय अधिकारी की भूमिका को सशक्त करने, व्यापक लोक-हित की अवधारणा और इसके दुरूपयोग को रोकने के लिए अपनायी जा रही सर्वोत्तम प्रक्रियां (बेस्ट प्रैक्टिसेज) एवं अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
28 सितम्बर को सम्मेलन में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई। लोक प्राधिकरण सूचना तकनीकी का अधिक से अधिक प्रयोग करते हुए अपने-अपने विभागों से संबंधित अधिकतम सूचनाओं को सार्वजनिक करें, जिससे आम आदमी को सूचना के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम का सहारा न लेना पड़े।
लोक सूचना अधिकारी नियुक्ति किए जाएं
राज्य सरकारों द्वारा ऐसे समर्पित लोक सूचना अधिकारी नियुक्ति किए जाएं जो सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 के प्रावधानों के क्रियान्वित को सुनिश्चित कर सकें। प्रत्येक लोक प्राधिकारी के लिए स्वतः प्रकटन का सालाना आॅडिट हो और इसकी रिपोर्ट उनकी वेबसाइट पर अपलोड की जाए। सूचना आयोग भी अपने निर्णयों में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 (1) (क), (ख) और 4 (2) की कठोरता से पालना की सुनिश्चित करे।
कार्यशाला में यह भी सहमति बनी कि पारदर्शिता सूचना के अधिकार का एक ठोस आधार होना चाहिए, किसी भी सूचना को सार्वजनिक करने से पहले प्रत्येक मामले में लोक-हित को गम्भीरता से देखा जाना चाहिए। एक ही विषय पर बार-बार प्रस्तुत किए जाने वाले तथा तुच्छ प्रकृति की सूचना के लिए किए गए आवेदनों, प्रथम अपीलों एवं द्वितीय अपीलों को लोक सूचना अधिकारी/ प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के स्तर से और सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए द्वितीय अपील प्राधिकारी (आयोग) के स्तर पर ही खारिज किया जा सकता है।
सभी सूचना आयोग एक समान केन्द्रीय अधिनियम के अधीन गठित हैं, अतः यह भी उचित होगा कि केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा बनाए गए नियमों को सभी सूचना आयोग अंगीकृत कर लें। प्रथम अपील की प्रक्रिया और प्रथम अपीलीय अधिकारियों को दण्डित करने या कार्य को गम्भीरता से न लेने वाले अधिकारियों के सेवा अभिलेखों में विपरीत टिप्पणी की भी मांग की गई, जिससे ऐसे अधिकारी पूरी निष्ठा एवं समयबद्धता से अपना काम करें।
राजस्थान राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त सुरेश चौधरी ने सभी का आभार व्यक्त किया एवं धन्यवाद किया। कार्यशाला में बिहार, छत्तीसगढ, हरियाणा, असम, गुजरात, ओडिशा, मणिपुर, तामिलनाडु, नई दिल्ली, केरल, गोवा, मिजोरम, कर्नाटक, अरूणाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सूचना आयुक्तों एवं सूचना आयुक्तों ने भाग लिया।
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