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NHRC notice to Gehlot Government: राजस्थान में अब ‘भूख संकट’! बच्चों को गिरवी रखने को मजबूर 500 परिवार

locationजयपुरPublished: Jun 15, 2019 12:11:28 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

NHRC notice to Gehlot Government: राजस्थान में अब ‘भूख संकट’! बच्चों को गिरवी रखने को मजबूर 500 परिवार

rajasthan starvation, national human rights commission
जयपुर।

राजस्थान में पेयजल संकट ( Rajasthan Water Crisis ) के साथ ही अब भूख संकट गहराने लगा है। बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले ( Banswara and Pratapgarh ) में तो नौबत यहां तक पहुंच गई है कि यहां के करीब 500 परिवारों को इस भूख संकट से बचाव के लिए अपने छोटे-छोटे बच्चों को गिरवी तक रखना पड़ रहा है। इस सम्बन्ध में शिकायतें अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( The National Human rights Commission , NHRC ) तक पहुंच गई हैं। आयोग ने इन शिकायतों पर चिंता ज़ाहिर की है और इसे गंभीर स्थिति माना है। आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब कर जानकारी भी मांगी है।
‘केन्द्रीय योजनाओं को लागू करने में राज्य सरकार विफल’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिले में 500 परिवारों द्वारा भूख से बचने के लिए अपने बच्चों को गिरवी रखने की शिकायतों पर चिंता जताई है। आयोग ने टिप्पणी की है कि यदि शिकायतें सही हैं तो लगता है इन जिलों में केन्द्रीय योजनाओं को लागू करने में राज्य सरकार विफल रही है। आयोग ने इस मामले में मुख्य सचिव से 6 सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है, वहीं केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के हालात बताने को भी कहा गया है।
आयोग ने स्वप्रेरणा से लिया प्रसंज्ञान
राष्ट्रीय आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है। खबरों के अनुसार बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिले के विभिन्न गांवों के 500 परिवारों ने भोजन का प्रबंध करने के लिए 1500 से 2000 रुपए में अपने बच्चों को गिरवी रख दिया है। इन गांवों में नरेगा व भामाशाह योजनाओं का भी लाभ नहीं पहुंचने की शिकायत है।
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‘हालात सच, तो मानव अधिकारों का होगा घोर उल्लंघन’
आयोग के अनुसार गिरवी रखे गए इन बच्चों की उम्र 8 से 12 साल के बीच बताई जा रही है और इन बच्चों को ग्वाले के रूप में काम लिया जा रहा है। आयोग की ओर से कहा गया है कि यदि खबरों में बताए गए हालात सच हैं, तो यह मानव अधिकारों के घोर उल्लंघन की स्थिति होगी। इन बेकसूर बच्चों की पढऩे लिखने की उम्र है, ऐसे में बच्चों को गिरवी रखने की घटना बेहद ही गंभीर है। आयोग ने प्रदेश में चल रही केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की स्थिति बताने के लिए भी मुख्य सचिव से कहा है।
मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का दायित्व
आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि इन परिवारों का पता लगाकर उनको मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाए। साथ ही, सर्वे के माध्यम से यह भी पता लगाने को कहा है कि कहीं दूसरे जिलों में भी तो ऐसे हालात उत्पन्न नहीं हो रहे हैं।
आयोग ने मुख्य सचिव को भेजे नोटिस में यह भी कहा है कि भोजन का अधिकार इंसान का मूलभूत अधिकार है, जिसके लिए भारत सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं। केन्द्र सरकार ने लोगों को भूखमरी का शिकार होने से बचाने के लिए ये योजनाएं शुरू की हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देकर कहा है कि लगता है भूखमरी से बचाने वाली केन्द्र सरकार की योजनाओं का प्रदेश में क्रियान्वयन नहीं हो रहा है, जिसके कारण ही यह हालात पैदा हो रहे हैं। इन योजनाओं को सही ढंग से चलाने के लिए इनमें पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाए और उनको डिजीटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाए। आयोग ने भूखमरी के हालात को लेकर यह भी कहा है कि लगता है राज्य सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम की पालना में भी विफल है।
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