राजधानी में जेडीए की आवासीय योजनाओं में 18,000 भूखंड में ज्यादातर खाली पड़े हुए हैं, वहीं अब नींदड़ आवासीय योजना में 6,520 भूखंड सृजित करने की योजना की तैयारी हो गई है। काश्तकार—खातेदारों की कई याचिका खारिज होने और निस्तारण होने के बाद जेडीए यहां सक्रिय हुआ है। जेडीए की शनिवार को यहां कार्रवाई प्रस्तावित है। इसके लिए प्रभावितों को शनिवार सुबह तक अपने स्तर पर निर्माण हटाने के लिए कहा गया है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे जेडीए का यहां 1 हजार करोड़ से ज्यादा रोकड़ कमाने का प्लान है। जेडीए ने अभी तक शहर में कई आवासीय योजना सृजित की हैं, लेकिन एक—दो को छोड़ सभी जगह आवंटी तो क्या परिंदा तक बमुश्किल नजर आता है। जेडीए ने दावा किया है जिन काश्तकार—खातेदारों ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया और न ही जमीन समर्पित की है, उनकी मुआवजा राशि सिविल कोर्ट में जमा करा दी गई है। ऐसे में अब जेडीए कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।
प्लानिंग पर कुछ मामले अभी कोर्ट में जेडीए की अगले दो—तीन माह में योजना में आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू करने प्लानिंग है। इसके लिए जेडीसी, उपायुक्त व अन्य अधिकारियों के बीच मंथन भी हो चुका है। हालांकि, अब भी कुछ मामले कोर्ट में है। इसमें 15 खातेदारों की याचिका है, जिसमें सुनवाई मंगलवार को होनी है। जेडीए को नोटिस जारी हो चुके हैं। इसके बाद स्थिति और ज्यादा साफ होगी।
पुरानी बदहाल, नई से उजड़ेंगे 20,000 जेडीए 13 साल में अब तक दो दर्जन से ज्यादा योजनाएं सृजित कर चुका है। इसमें 18 हजार से ज्यादा भूखण्ड हैं। अधिकतर योजनाओं में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। इसके बावजूद जेडीए नींदड़ गांव के 5 हजार परिवारों यानि करीब 20 हजार लोगों को उजाड़कर दूसरे लोगों को बसाने की फिर से तैयारी कर रहा है। ये लोग 18 कॉलोनी और 19 ढाणियों में बसे हैं। प्रस्तावित योजना के 1.5 से 6 किलोमीटर के दायरे में ही जेडीए की तीन आवासीय योजना पहले से हैं।