किसकी क्या दलील
दोषी मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर- दया याचिका दायर की गई है जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। उनकी क्यूरेटिव पिटिशन खारिज नहीं हुई। पिटिशन तो देरी होने के कारण खारिज हुई है। दस्तावेजों पर पांच जजों की बेंच ने विचार किया। मुकेश फांसी की सजा प्राप्त दोषी है। वह अदालती प्रक्रिया से खिलवाड़ नहीं कर सकता है।
सरकारी वकील- कोर्ट को इस याचिका पर सुनवाई का अधिकार ही नहीं है।
जज-दोषियों को इस कोर्ट में भेजते वक्त हाई कोर्ट को सभी नियमों का ध्यान रहा होगा।
ग्रोवर- मैं मानती हूं कि खीझ, दुख और चिंता का माहौल है और मैं सबका सम्मान करती हूं, लेकिन वकील होने के नाते कोर्ट को कानून से अवगत करवाना मेरा दायित्व है। भावनाएं देश के कानून को दबा नहीं सकतीं।
जज- आप जो भी कह रही हैं, उसका संदर्भ याचिका फाइल करने में देरी को लेकर है।
ग्रोवर- 22 तारीख को फांसी नहीं दी जा सकती क्योंकि मुकेश की दया याचिका अभी लंबित है। भारत कानून का सम्मान करने के लिए जाना जाता है और कानून का सम्मान करना ही चाहिए। जब तक दया याचिका पर फैसला नहीं हो जाता तब तक के लिए डेथ वॉरंट को रद्द किया जाए।
ग्रोवर- जेल अधिकारियों ने मुकेश से संबंधित दस्तावेज देने में देरी की, इसलिए याचिका दाखिल करने में देरी हुई।
जज- अभी तथ्य यही है कि दोषी की दया याचिका लंबित है।
जज- कुछ हद तक 22 को फांसी संभव न हो, पर सवाल यह है कि ऐसा कब तक लिए होगा?
अभियोजन- हम जेल प्रशासन से कहेंगे कि वह इस अदालत को रिपोर्ट दायर कर बताए कि उन्होंने सरकार को लेटर लिखकर पूछा है क्या फांसी की तारीख आगे बढ़ा दी जाए।
दोषी मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर- दया याचिका दायर की गई है जिस पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। उनकी क्यूरेटिव पिटिशन खारिज नहीं हुई। पिटिशन तो देरी होने के कारण खारिज हुई है। दस्तावेजों पर पांच जजों की बेंच ने विचार किया। मुकेश फांसी की सजा प्राप्त दोषी है। वह अदालती प्रक्रिया से खिलवाड़ नहीं कर सकता है।
सरकारी वकील- कोर्ट को इस याचिका पर सुनवाई का अधिकार ही नहीं है।
जज-दोषियों को इस कोर्ट में भेजते वक्त हाई कोर्ट को सभी नियमों का ध्यान रहा होगा।
ग्रोवर- मैं मानती हूं कि खीझ, दुख और चिंता का माहौल है और मैं सबका सम्मान करती हूं, लेकिन वकील होने के नाते कोर्ट को कानून से अवगत करवाना मेरा दायित्व है। भावनाएं देश के कानून को दबा नहीं सकतीं।
जज- आप जो भी कह रही हैं, उसका संदर्भ याचिका फाइल करने में देरी को लेकर है।
ग्रोवर- 22 तारीख को फांसी नहीं दी जा सकती क्योंकि मुकेश की दया याचिका अभी लंबित है। भारत कानून का सम्मान करने के लिए जाना जाता है और कानून का सम्मान करना ही चाहिए। जब तक दया याचिका पर फैसला नहीं हो जाता तब तक के लिए डेथ वॉरंट को रद्द किया जाए।
ग्रोवर- जेल अधिकारियों ने मुकेश से संबंधित दस्तावेज देने में देरी की, इसलिए याचिका दाखिल करने में देरी हुई।
जज- अभी तथ्य यही है कि दोषी की दया याचिका लंबित है।
जज- कुछ हद तक 22 को फांसी संभव न हो, पर सवाल यह है कि ऐसा कब तक लिए होगा?
अभियोजन- हम जेल प्रशासन से कहेंगे कि वह इस अदालत को रिपोर्ट दायर कर बताए कि उन्होंने सरकार को लेटर लिखकर पूछा है क्या फांसी की तारीख आगे बढ़ा दी जाए।
दया याचिका अब केंद्र सरकार के पास
दोषी मुकेश की दया याचिका अब केंद्र सरकार के पास पहुंच गई है। बुधवार को दिल्ली सरकार ने इसे खारिज करके उपराज्यपाल के पास भेज दी थी। वहीं उपराज्यपाल ने याचिका को गृहमंत्रालय को भेज दिया है। गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि उपराज्यपाल ने दया याचिका नामंजूर करने की सिफारिश की है।
दोषी मुकेश की दया याचिका अब केंद्र सरकार के पास पहुंच गई है। बुधवार को दिल्ली सरकार ने इसे खारिज करके उपराज्यपाल के पास भेज दी थी। वहीं उपराज्यपाल ने याचिका को गृहमंत्रालय को भेज दिया है। गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि उपराज्यपाल ने दया याचिका नामंजूर करने की सिफारिश की है।
और राजनीति भी.. कानूनी दावपेच में फंसी निर्भया के गुनहगारों की फांसी सजा पर राजनीति भी शुरू हो गई है। बुधवार को जहां दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने बिजली की गति से दया याचिका खारिज कर उपराज्यपाल के पास भेज दी है। वहीं गुरुवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि दिल्ली सरकार की लापरवाही के चलते दोषियों की फांसी में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में दिल्ली सरकार ने दया याचिका दायर करने के दोषियों को नोटिस जारी क्यों नहीं दिया?