श्रीगंगानगर। गजल गायकी के बेताज बादशाह गजल सम्राट ( Ghazal Emperor ) जगजीतसिंह ( Jagjit Singh ) की पुण्यतिथि ( Death Anniversary ) के अवसर पर इस बार कोरोना वायरस के चलते ( Due to
Corona virus ) श्रीगंगानगर ( Sriganganagar ) में कोई बड़ा आयोजन नहीं ( No Big Show ) होगा। ( Jaipur News ) राजस्थान में श्रीगंगानगर में जन्मे पले-बढ़े और संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करके गायकी की बुलंदियों पर पहुंचे जगजीतङ्क्षसह की स्मृति में हर वर्ष 10 अक्टूबर को कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण कोई बड़ा आयोजन नहीं होने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जगजीतसिंह का जन्म आठ फरवरी, 1941 को हुआ था और 10 अक्टूबर, 2011 को 70 वर्ष की उम्र में मुंबई में निधन हुआ।
-प्रशासन ने नहीं दी अनुमति प्राप्त जानकारी के अनुसार एक दो संस्थाओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते कार्यक्रम आयोजित करने की प्रशासन से अनुमति मांगी, लेकिन अनुमति प्रदान नहीं की गई। आर.डी बर्मन फैंस क्लब के संयोजक शैलेंद्रसिंह चौहान शैली ने बताया कि उनकी संस्था इस बार भी सिविल लाइंस में जी-25 सरकारी आवास में कार्यक्रम का आयोजन छोटे स्तर पर सोशल डिस्टेंङ्क्षसग का पालन करते हुए करना चाहती थी, लेकिन प्रशासन से अनुमति नहीं मिली।
-जी-25 सरकारी आवास में बीता बचपन दरअसल इसी सरकारी आवास में जगजीतसिंह का बचपन बीता। यहीं पर उन्होंने गायकी की शुरुआती शिक्षा ग्रहण की थी। सिविल लाइंस के दूसरी तरफ चौधरी पतराम की चिकड़ी में जगजीतसिंह का जन्म हुआ।
-पिता थे सिंचाई विभाग में कार्यरत उनके पिता विभाग में कार्यरत थे। शैलेंद्रसिंह ने बताया कि अब शनिवार शाम छह बजे सरकारी आवास में क्लब के पदाधिकारियों एवं सदस्यों का संक्षिप्त कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें दीप प्रज्वलित करके जगजीतसिंह को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इस मौके पर एक चित्रकार की ओर से जगजीतसिंह की बनाई गई पेंटिंग का विमोचन किया जाएगा।
-गजलों को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय खालिस उर्दू जानने वालों की मिल्कियत समझी जाने वाली, नवाबों-रक्कासाओं की दुनिया में झनकती और शायरों की महफिलों में वाह-वाह की दाद पर इतराती गजलों को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय अगर किसी को सबसे पहले दिया जाना हो तो जगजीतसिंह का ही नाम जुबां पर आता है। उनकी गजलों ने न सिर्फ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इजाफा किया बल्कि गालिब, मीर, मजाज, जोश और फिराक जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। जगजीत सिंह को 2003 में भारत सरकार की ओर से कला के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। फ रवरी, 2014 में जगजीतसिंह के सम्मान व स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किए गए।