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बे-बस…राह में खड़े बस स्टैंड, बस कागजों में दौड़ रहीं बाहर ले जाने की योजना

शहर में बसों का दबाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। राह में बस स्टैंड रोड़ा बने हुए हैं। इनको शहर से बाहर ले जाने के लिए योजनाएं तो बनाई गईं, लेकिन उनको मूर्तरूप नहीं मिल पाया। अब स्थिति यह हो चुकी है कि सड़क पर बसों का रेला नजर आता है। नारायण सिंह सर्कल, दुर्गापुरा,अजमेर […]

जयपुरJan 11, 2025 / 05:34 pm

Amit Pareek

jaipur
शहर में बसों का दबाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। राह में बस स्टैंड रोड़ा बने हुए हैं। इनको शहर से बाहर ले जाने के लिए योजनाएं तो बनाई गईं, लेकिन उनको मूर्तरूप नहीं मिल पाया। अब स्थिति यह हो चुकी है कि सड़क पर बसों का रेला नजर आता है। नारायण सिंह सर्कल, दुर्गापुरा,अजमेर रोड स्थित 200 फीट बाइपास चौराहा और सीकर रोड स्थित राव शेखाजी सर्कल पर बस स्टैंड यातायात में बाधक साबित हो रहे हैं। सबसे बुरा हाल तो नारायण सिंह सर्कल पर नजर आता है।

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बसों को शहर से बाहर रोकने और शहर तक कनेक्टिविटी बेहतर करने के लिए कई बार योजना बनी, लेकिन ये योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई। जैसे-तैसे हीरापुरा बस टर्मिनल बनकर तैयार हो गया, लेकिन पिछले छह माह से इसे चालू नहीं किया जा रहा है। पहले रोडवेज के अधिकारी कमला नेहरू पुलिया चालू होने के बाद टर्मिनल संचालित करने की बात कह रहे थे। करीब 20 दिन पहले पुलिया चालू हो चुकी है, लेकिन टर्मिनल तक बसें पहुंचना शुरू नहीं हुई हैं।
अब तक कोई फैसला नहीं

ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड (टीसीबी) की पिछली बैठक में जमीन आवंटन को लेकर चर्चा हुई थी। तीन स्थानों पर बस टर्मिनल की जगह को परिवहन विभाग ने उपयुक्त नहीं माना है। पुरानी जमीन का आवंटन रद्द करने और नया आवंटन करने के लिए जेडीए को फिर से पत्र लिखा था। परिवहन विभाग ने रिट्स लिमिटेड की एक रिपोर्ट का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि कानोता, शिवदासपुरा और अचरोल में जो जमीन बस टर्मिनल के लिए दी गई हैं, वो फिजिबल नहीं हैं।
काम की गति इतनी धीमा

-एक तरफ शहर की सड़कें बसों और वाहनों के दबाव से कराह रही हैं और दूसरी ओर जिम्मेदारों की प्लानिंग सिर्फ कागजों में ही नजर आ रही है। तभी तो तीन वर्ष पहले जेडीए ने अचरोल, शिवदासपुरा और आगरा रोड पर कानोता में जमीन आवंटित की। अब परिवहन विभाग जागा और 30 किमी पहले जमीन मांगी है।
-दिल्ली रोड पर सड़वा मोड़ पर, टोंक रोड पर सीतापुरा के आस-पास और कानोता की जगह अब सीकर रोड पर टोडी मोड़ पर जगह मांगी है। पूर्व में जेडीए औसतन 10 हजार वर्ग मीटर जगह आवंटित कर चुका है।
ये हो तो दिखे बदलाव

राजधानी में आगरा रोड, दिल्ली रोड, सीकर रोड, अजमेर रोड और टोंक रोड से सर्वाधिक बसें शहर में प्रवेश करती हैं। ये बसें कई भीड़ भरे इलाकों से भी गुजरती हैं। यदि शहर से 25 से 30 किमी दूर बस टर्मिनल विकसित कर दिए जाएं और वहां से सिटी बसों से शहर से जुड़ाव कर दिया जाए तो राहत मिलने की उम्मीद है।
टॉपिक एक्सपर्ट

बस स्टैंड को बाहर करना ही विकल्प

सबसे बुरा हाल तो नारायण सिंह तिराहे पर होता है। एक लेन तो बसों के लिए रिजर्व कर दी गई है। इसके बाद भी टोंक रोड पर बसें खड़ी रहती हैं। जबकि, यहां से दिन भर वाहनों की आवाजाही होती है और लोग परेशान होते रहते हैं। मल्टीलेवल ट्रांसपोर्टेशन हब के रूप में कुछ इलाकों को विकसित करने पर भी विचार करना चाहिए। इसके अलावा बस स्टैंड बाहर होना ही बेहतर विकल्प है। सरकार को इस पर गंभीरता से काम करना चाहिए। तभी लोगों को राहत मिलेगी।
-सतीश शर्मा, सेवानिवृत्त मुख्य नगर नियोजक

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