पटाखों की बिक्री पर रोक एक नंवबर तक लागू रहेगी। इस आदेश से उन आतिशबाजी विक्रेताओं में चिंता व्याप्त गई है जिन्होने माल का स्टाक कर लिया है। इनको करोड़ों का नुकसान होगा। आतिशबाजी के जानकारों का कहना है कि करीब 5 करोड़ का माल स्टाक में है। साथ ही करीब डेढ़ हजार लोगों का रोजगार प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगा।
अलवर और भरतपुर में आतिशबाजी का बड़ा कारोबार है। यहां निर्मित फुलझड़ी, महताब, अनार, सूतली बम आदि देशभर में भेजे जाते है। आतिशबाजी बिक्री पर रोक लगने से करीब 20 करोड़ का बाजार प्रभावित होगा और 3000 परिवारो पर आर्थिक असर पड़ेगा। अलवर पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना के लिए पुलिस की टीम काम कर रही है और लोगों से भी अपील की जाती है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना में पटाखे नहीं खरीदें।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर 31 अक्तूबर तक के लिए बैन लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा व्यापारियों की बिक्री पर लगे बैन को हटाने वाली याचिका को भी खारिज कर चुका है। पटाखा व्यापारियों ने बिक्री पर रोक लगाने संबंधी नौ अक्तूबर के फैसले में ढील देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने कहा है कि इस प्रतिबंध पर किसी प्रकार की ढील देना सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भावना के खिलाफ होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ कर दिया है कि सरकार ने फैसले से पहले जितने भी लाइसेंस जारी किए वह सब तत्काल प्रभाव से रद किए जा रहे हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि उसका यह आदेश एक टेस्ट की तरह है, जिसमें कोर्ट यह देखेगा कि आखिर बिना आतिशबाजी के दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा कितनी साफ है। इसके बाद कोर्ट इस पर अपना फैसला दोबारा सुनाएगा।
फिलहाल कोर्ट ने एक नवंबर से दोबारा पटाखे बेचने को भी अनुमति दी है। सितंबर के आदेश के बाद जिन दुकानदारों ने बिक्री के लिए पटाखे खरीद लिए थे, नए आदेश से उन्हें झटका लगा है। यहां पर यह बात ध्यान रखनी होगी कि हर वर्ष दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण लेवल खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। इसका समय-समय पर कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है और सरकारों ने भी इस पर आपत्ति जताई है।