केवल यहां एनओसी…
जवाहर सर्किल के पास उत्तर—पश्चिम रेवले कार्यालय भवन, एयरपोर्ट सहित कुछ एक इमारतें।
इन प्रमुख सरकारी भवन की फायर एनओसी नहीं…
राजस्थान विधानसभा, शासन सचिवालय, जयपुर विकास प्राधिकरण, नगर निगम मुख्यालय, हाईकोर्ट, वित्त भवन, आवासन मण्डल, विद्युत भवन, सवाई मानसिंह अस्पताल, रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया, सरस संकुल, शिक्षा संकुल, उद्योग भवन, पुलिस मुख्यालय, कॉपरेटिव भवन, स्वायत्त शासन भवन, रजिस्ट्रार आॅफ कंपनीज, अम्बेडकर भवन, पासपोर्ट कार्यालय, प्रादेशिक परिवहन कार्यालय, पंत कृषि भवन, आयकर भवन, राजस्थान स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भवन, पासपोर्ट सेवा केन्द्र, जेके लोन अस्पताल, कर भवन, सिंचाई भवन, सहकार भवन, महालेखाकार कार्यालय, परिवहन भवन, मिनी सचिवालय, जिलाधीश कार्यालय, जिला एवं सत्र न्यायालय, भारतीय जीवन बीमा निगम, जनाना अस्पताल, महिला अस्पताल, राजस्थान स्वास्थ्य विश्विद्यालय के अलावा प्रमुख धार्मिक स्थल। ये प्रमुख सरकारी भवन हैं, जहां लोगों की आवाजाही ज्यादा रहती है। इनके अलावा भी कई अन्य सरकारी भवन हैं।
फायर फाइटिंग उपकरण से लैस, पर एनओसी नहीं लेने के नुकसान.
सचिवालय, विधानसभा सहित कई सरकारी भवनों में अग्निशमन उपकरण व अन्य संसाधन हैं। संबंधित प्रशासन खुद भी इसकी मॉनिटरिंग करते हैं, लेकिन फायर एनओसी लेना अनिवार्य है। कारण, इससे नगर निगम को पता रहता है कि संबंधित भवन में किस जगह, क्या संसाधन लगाए हैं, जिससे की आगजनी होने की स्थिति तत्काल उस पर काबू पाया जा सके। इसके अलावा निरंतर मॉनिटरिंग रखने और एक्सपायर उपकरणों को बदलने का भी दबाव बना रहता है।
अभी तय यह नियम
—15 मीटर से उंचे भवनों में फायर एनओसी लेना अनिवार्य।
—50 से ज्यादा लोगों की आवाजाही एक समय रहती है वहां भी।
—300 वर्गमीटर से बड़े कंस्ट्रशन एरिया भवन में
अब यह भी जद में..
100 वर्ग मीटर से बड़े संस्थान-कार्यालयों, गोदामों व गैराज के लिए भी फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होगा। इनके अलावा बहुमंजिला इमारतों में सीबीएसई व आईएसएसई विद्यालय और 1 हजार वर्गफीट क्षमता से बड़े रेस्टोरेंट, चिकित्सालय, बैंक, वित्तीय संस्थान, महाविद्यालय, समस्त औद्योगिक इकाईयां भी इसके दायरे में आ गए हैं। निगम की पिछले माह हुई साधारण सभा में इससे जुड़े प्रस्ताव पर मुहर लगाई जा चुकी है।
जवाहर सर्किल के पास उत्तर—पश्चिम रेवले कार्यालय भवन, एयरपोर्ट सहित कुछ एक इमारतें।
इन प्रमुख सरकारी भवन की फायर एनओसी नहीं…
राजस्थान विधानसभा, शासन सचिवालय, जयपुर विकास प्राधिकरण, नगर निगम मुख्यालय, हाईकोर्ट, वित्त भवन, आवासन मण्डल, विद्युत भवन, सवाई मानसिंह अस्पताल, रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया, सरस संकुल, शिक्षा संकुल, उद्योग भवन, पुलिस मुख्यालय, कॉपरेटिव भवन, स्वायत्त शासन भवन, रजिस्ट्रार आॅफ कंपनीज, अम्बेडकर भवन, पासपोर्ट कार्यालय, प्रादेशिक परिवहन कार्यालय, पंत कृषि भवन, आयकर भवन, राजस्थान स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भवन, पासपोर्ट सेवा केन्द्र, जेके लोन अस्पताल, कर भवन, सिंचाई भवन, सहकार भवन, महालेखाकार कार्यालय, परिवहन भवन, मिनी सचिवालय, जिलाधीश कार्यालय, जिला एवं सत्र न्यायालय, भारतीय जीवन बीमा निगम, जनाना अस्पताल, महिला अस्पताल, राजस्थान स्वास्थ्य विश्विद्यालय के अलावा प्रमुख धार्मिक स्थल। ये प्रमुख सरकारी भवन हैं, जहां लोगों की आवाजाही ज्यादा रहती है। इनके अलावा भी कई अन्य सरकारी भवन हैं।
फायर फाइटिंग उपकरण से लैस, पर एनओसी नहीं लेने के नुकसान.
सचिवालय, विधानसभा सहित कई सरकारी भवनों में अग्निशमन उपकरण व अन्य संसाधन हैं। संबंधित प्रशासन खुद भी इसकी मॉनिटरिंग करते हैं, लेकिन फायर एनओसी लेना अनिवार्य है। कारण, इससे नगर निगम को पता रहता है कि संबंधित भवन में किस जगह, क्या संसाधन लगाए हैं, जिससे की आगजनी होने की स्थिति तत्काल उस पर काबू पाया जा सके। इसके अलावा निरंतर मॉनिटरिंग रखने और एक्सपायर उपकरणों को बदलने का भी दबाव बना रहता है।
अभी तय यह नियम
—15 मीटर से उंचे भवनों में फायर एनओसी लेना अनिवार्य।
—50 से ज्यादा लोगों की आवाजाही एक समय रहती है वहां भी।
—300 वर्गमीटर से बड़े कंस्ट्रशन एरिया भवन में
अब यह भी जद में..
100 वर्ग मीटर से बड़े संस्थान-कार्यालयों, गोदामों व गैराज के लिए भी फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होगा। इनके अलावा बहुमंजिला इमारतों में सीबीएसई व आईएसएसई विद्यालय और 1 हजार वर्गफीट क्षमता से बड़े रेस्टोरेंट, चिकित्सालय, बैंक, वित्तीय संस्थान, महाविद्यालय, समस्त औद्योगिक इकाईयां भी इसके दायरे में आ गए हैं। निगम की पिछले माह हुई साधारण सभा में इससे जुड़े प्रस्ताव पर मुहर लगाई जा चुकी है।
—सरकार भवनों में भी अग्निशमन उपकरणों की जांच की जाएगी। यह सही है कि फायर एनओसी लेना अनिवार्य है, इसके लिए ऐसे सभी संबंधित विभागों को एनओसी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा जाएगा। इसकी पुख्ता मॉनिटरिंग करेंगे।
—रवि जैन, आयुक्त, नगर निगम