भीलवाड़ा : एक रेडियोलोजिस्ट के भरोसे
महात्मा गांधी चिकित्सालय में सोनोग्राफी कराने आने वाले मरीजों को भारी परेशानी हो रही है। गर्भवती महिलाओं को भी कई बार चक्कर लगाने के बाद सप्ताहभर बाद का समय मिल पाता है क्योंकि वहां एक ही मशीन और एक ही रेडियोलॉजिस्ट है। स्टाफ का टोटा भी मरीजों को दर्द दे रहा है। डिजिटल एक्सरे मशीन भी खराब पड़ी है।
महात्मा गांधी चिकित्सालय में सोनोग्राफी कराने आने वाले मरीजों को भारी परेशानी हो रही है। गर्भवती महिलाओं को भी कई बार चक्कर लगाने के बाद सप्ताहभर बाद का समय मिल पाता है क्योंकि वहां एक ही मशीन और एक ही रेडियोलॉजिस्ट है। स्टाफ का टोटा भी मरीजों को दर्द दे रहा है। डिजिटल एक्सरे मशीन भी खराब पड़ी है।
बांसवाड़ा : जांच के लिए निजी अस्पताल
स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य जांचों का काम भगवान भरोसे है। जिला मुख्यालय के महात्मा गांधी अस्पताल में भी पूरी जांचें नहीं हो पा रही, जिससे मरीजों निजी संस्थानों में जाना पड़ता है। कमोबेश यही हाल जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का है। अरथूना पीएचसी में एक्सरे सुविधा नहीं है। कुशलगढ़ में भी मरीज परेशान हो रहे हैं।
स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य जांचों का काम भगवान भरोसे है। जिला मुख्यालय के महात्मा गांधी अस्पताल में भी पूरी जांचें नहीं हो पा रही, जिससे मरीजों निजी संस्थानों में जाना पड़ता है। कमोबेश यही हाल जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का है। अरथूना पीएचसी में एक्सरे सुविधा नहीं है। कुशलगढ़ में भी मरीज परेशान हो रहे हैं।
अजमेर: एलाइजा मशीन खराब
मेडिकल कॉलेज के जेएलएन अस्पताल में एलाइजा मशीन खराब है, रेपिड टेस्ट से ही डेंगू जांच हो रही है। नसीराबाद के राजकीय अस्पताल में ऑपरेटिंग माइक्रो स्कॉप, ईएफआर इन्हेलाइजर नहीं है। पुष्कर सीएचसी में ब्लड स्टोरेज यूनिट में संग्रहीत ब्लड महीने भर व्यर्थ पड़ा रहता है।
मेडिकल कॉलेज के जेएलएन अस्पताल में एलाइजा मशीन खराब है, रेपिड टेस्ट से ही डेंगू जांच हो रही है। नसीराबाद के राजकीय अस्पताल में ऑपरेटिंग माइक्रो स्कॉप, ईएफआर इन्हेलाइजर नहीं है। पुष्कर सीएचसी में ब्लड स्टोरेज यूनिट में संग्रहीत ब्लड महीने भर व्यर्थ पड़ा रहता है।
भरतपुर: जांचने वाला ही नहीं
संभाग मुख्यालय स्थित आरबीएम अस्पताल में जांच के संसाधन-उपकरण तो हैं, लेकिन उपयोग नहीं हो रहा। ट्रोमा वार्ड में नई एक्स-रे मशीन व डिजिटल एक्सरे मशीन तक धूल फांक रही हैं। लैब जनरेटर व यूपीएस से अटैच नहीं है। ऐसे में जांच की उम्मीद ही बेमानी है।
संभाग मुख्यालय स्थित आरबीएम अस्पताल में जांच के संसाधन-उपकरण तो हैं, लेकिन उपयोग नहीं हो रहा। ट्रोमा वार्ड में नई एक्स-रे मशीन व डिजिटल एक्सरे मशीन तक धूल फांक रही हैं। लैब जनरेटर व यूपीएस से अटैच नहीं है। ऐसे में जांच की उम्मीद ही बेमानी है।
झालावाड़: ब्लड बैंक वर्षों से बंद
जिले के 14 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के मरीजों को उपचार के लिए जिला मुख्यालय के ब्लड बैंक पर निर्भर रहना पड़ रहा है। भवानीमंडी, खानपुर व अकलेरा के सीएचसी में ब्लड बैंक की सुविधा वर्षों से बंद है। ऐसे में ऑपरेशन के लिए जिला मुख्यालय रैफर करना पड़ता है।
जिले के 14 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के मरीजों को उपचार के लिए जिला मुख्यालय के ब्लड बैंक पर निर्भर रहना पड़ रहा है। भवानीमंडी, खानपुर व अकलेरा के सीएचसी में ब्लड बैंक की सुविधा वर्षों से बंद है। ऐसे में ऑपरेशन के लिए जिला मुख्यालय रैफर करना पड़ता है।
बाड़मेर: फटे हाल बिस्तर
सबसे बड़े अस्पताल में ही मरीजों को फटे हुए गद्दे व खस्ताहाल बैड मिलते हैं। बैडशीट का तो अता-पता ही नहीं होता। इसे लेकर अस्पताल में कई बार हंगामे हो चुके हैं। एक एक्स-रे मशीन खराब है जबकि सैकड़ों मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। ब्लड बैंक में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है।
सबसे बड़े अस्पताल में ही मरीजों को फटे हुए गद्दे व खस्ताहाल बैड मिलते हैं। बैडशीट का तो अता-पता ही नहीं होता। इसे लेकर अस्पताल में कई बार हंगामे हो चुके हैं। एक एक्स-रे मशीन खराब है जबकि सैकड़ों मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। ब्लड बैंक में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है।
श्रीगंगानगर: कहीं ब्लड नहीं तो कहीं ब्लड लेने वाला ही नहीं
शीर्ष अस्पताल सहित जिले की सीएचसी व पीएचसी पर जांच करने वाले स्टाफ की कमी है। चिकित्सकों का अभाव सभी जगह है। श्रीकरणपुर : चिकित्सालय में ब्लड बैंक है, लेकिन फ्रिज २० दिन से खराब है। लड बैंक पर ही ताला लगा दिया गया है।
शीर्ष अस्पताल सहित जिले की सीएचसी व पीएचसी पर जांच करने वाले स्टाफ की कमी है। चिकित्सकों का अभाव सभी जगह है। श्रीकरणपुर : चिकित्सालय में ब्लड बैंक है, लेकिन फ्रिज २० दिन से खराब है। लड बैंक पर ही ताला लगा दिया गया है।
राजियासर : सीएचसी में मशीनें खराब हैं। ब्लड रखने की कोई सुविधा नहीं है। ब्लड की जरूरत होने पर सूरतगढ़ रेफर कर दिया जाता है। अनूपगढ़ :ब्लड रखने के लिए फ्रिज आदि संसाधन तो हैं लेकिन ब्लड चढ़ाने में ब्लड चढ़ाने वाला कोई नहीं है।
अलवर: ब्लड की कमी
जिले में एक ही सरकारी ब्लड बैंक है, जिसमें 600 यूनिट ब्लड की व्यवस्था है, लेकिन कमी रहती है। सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल में जांच मशीन आये दिन खराब रहती है।
जिले में एक ही सरकारी ब्लड बैंक है, जिसमें 600 यूनिट ब्लड की व्यवस्था है, लेकिन कमी रहती है। सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल में जांच मशीन आये दिन खराब रहती है।
सीकर: अस्पताल ही बीमार
सबसे बड़े एसके अस्पताल में संसाधन खुद बीमार हैं। ज्यादातर मशीनें खराब हैं। एसके अस्पताल में ईईजी, वेन्टीलेटर, गैस्टोस्कोप, बायो कैमेस्टी मशीन खराब है। उदयपुर: गुजरात के अस्पतालों तक लगानी पड़ती है दौड़
सबसे बड़े एसके अस्पताल में संसाधन खुद बीमार हैं। ज्यादातर मशीनें खराब हैं। एसके अस्पताल में ईईजी, वेन्टीलेटर, गैस्टोस्कोप, बायो कैमेस्टी मशीन खराब है। उदयपुर: गुजरात के अस्पतालों तक लगानी पड़ती है दौड़
ग्रामीण इलाकों में स्त्रीरोग विशेषज्ञ के अभाव में महिला सामान्य जांचों में भी हिचकिचाती हैं। डिलीवरी के नाजुक वक्त कई किलोमीटर तक जाना पड़ता है। कोटड़ा, झाड़ोल, ओगणा व दूरदराज इलाकों से खून की आवश्यकता पडऩे पर उदयपुर या गुजरात जाना पड़ता है।
भींडर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ब्लड स्टोरेज सिस्टम नहीं । मरीज को उदयपुर जाना पड़ता है। ओगणा : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में काफी संख्या में डिलीवरी केस आते हैं, लेकिन स्त्रीरोग विशेषज्ञ व सोनोग्राफी मशीन नहीं है। रेफर करना पड़ता है।
झाड़ोल : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ब्लड बैंक में उपकरण के अभाव में ताले लटके हुए हैं।