जयपुर

भ्रूण जांच की एफआईआर दर्ज होने के तीन साल बाद जांच और गिरफ्तारी क्यों नहीं—हाईकोर्ट

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Three years back) तीन साल पहले दर्ज हुई (foetus Test) भ्रूण जांच की (FIR) एफआईआर पर अब तक कोई (Investigation ) अनुसंधान व (Arrest) गिरफ्तारी नहीं होने पर (PBI PS)पीबीआई थाने के (SP) पुलिस अधीक्षक से (report) रिपोर्ट मांगी है।

जयपुरJul 04, 2020 / 10:32 pm

Mukesh Sharma

जयपुर
(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Three years back) तीन साल पहले दर्ज हुई (foetus Test) भ्रूण जांच की (FIR) एफआईआर पर अब तक कोई (Investigation ) अनुसंधान व (Arrest) गिरफ्तारी नहीं होने पर (PBI PS)पीबीआई थाने के (SP) पुलिस अधीक्षक से (report) रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी बताने को कहा है कि क्या तत्कालीन आईओ और उसकी टीम को इनाम के एक लाख रुपए दिए गए थे या नहीं और तत्कालीन आईओ सहित वर्तमान आईओ और लापरवाह पुलिसवालों के खिलाफ क्या कार्यवाही प्रस्तावित है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश प्रतीक यादव व अन्य की आपराधिक याचिका पर दिए।
कोर्ट में पेश हुए आईओ पूरणमल ने कोर्ट को बताया कि 2017 में एफआईआर दर्ज होने के बाद से अब तक मामले कोई अनुसंधान नहीं हुआ है और उसे मामला पिछले दिनों ही सौंपा गया है। आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए दबिश दी गई हैं,लेकिन आरोपी पकड में नहीं आ रहे हैं।
कोर्ट ने कहा है कि केस डायरी से स्पष्ट है कि तत्कालीन आईओ को उस जगह की जानकारी थी जहां वरना कार में सोनोग्राफी मशीन लाई गई और आरोपी भाग गए थे। इसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई और तत्कालीन आईओ सीताराम का प्रमोशन भी हो गया है।
कोर्ट को बताया गया कि भ्रूण ***** की पहचाने करने वालों को गिरफ्तार करने पर एक लाख रुपए और चालान पेश होने पर कुल ढाई लाख रुपए सरकार टीम को बतौर इनाम देती है किया गया। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ 17 फरवरी 2017 को स्वास्थ्य विभाग के पीबीआई थाने में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत मामला दर्ज। पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद जांच की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

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