ऐसे में स्नातक व स्नातकोत्तर के बाद युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जूझना पड़ रहा है। विवि व संघटक कॉलेजों में 25 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। इनमें से एक चौथाई छात्र-छात्राएं हर साल पास होकर निकलते हैं लेकिन किसी को भी नौकरी नहीं मिलती। विवि में विद्यार्थियों के लिए विद्यार्थी परामर्श ब्यूरो, रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन केन्द्र भी हैं। राज्य सरकार ने यहां पूर्णकालिक रोजगार अधिकारी नियुक्त कर रखे हैं। इसके बावजूद विद्यार्थियों को इस केन्द्र का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
दो साल में अधिकांश छात्र-छात्राओं को तो केन्द्र के बारे में ही पता नहीं है। महीने में एक-दो छात्र-छात्राएं ही केंद्र तक पहुंच पाते हैं। और तो और, विवि को यूनिवर्सिटी विद पोटेंशनल फोर एक्सीलेंस (यूपीई) कार्यक्रम मिला हुआ है, जिसके तहत 50 करोड़ देय हैं। अनुदान की आधी राशि मिल चुकी है, आधी बाकी है। विवि को यूजीसी से मिलने वाली रैंकिंग में रोजगार का कॉलम है। इसके बावजूद विवि रोजगार मेले जैसे प्रयास नहीं कर रहा है जबकि यूपीई की ग्रांट से रोजगार मेला लगाया जा सकता है। यूपीई कार्यक्रम व उसके अनुदान से जुलाई 2016 में सेंट्रल प्लेसमेंट सेल के जरिए रोजगार मेला लगाया गया था। उसमें निजी बैंक, फाइनेंस, होटल, कॉल सेंटर सहित अन्य क्षेत्रों से जुड़ी 50 कंपनियों ने विवि में 1600 युवाओं के साक्षात्कार लिए थे। इसके बाद 600 युवाओं को कम्पनियों ने सीधे नौकरी दी थी। 500 को प्रशिक्षण के लिए चुना था।