पंचायत चुनाव में आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक जाति प्रमाण को लेकर पूरा मामला शुरू हुआ। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राजस्थान में उनके पति की जाति भी उसी श्रेणी में आती है, जिससे वे अपने गृह राज्य में हैं। शादी के बाद वे राजस्थान राज्य में लगातार निवास कर रहे हैं। ऐसे में उनको आरक्षण मिले।
महाधिवक्ता अनिल मेहता ने कहा कि एक व्यक्ति केवल अपने मूल राज्य में ही आरक्षण के लाभ के लिए दावा कर सकता है। ऐसा करना संवैधानिक फैसलों का उल्लंघन होगा।
हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश से जारी प्रमाण पत्रों के आधार पर सैकड़ों महिलाओं ने आरक्षित सीटों पर पंचायत चुनाव में नामांकन दाखिल किया। अब कोर्ट से कोई विपरित आदेश नहीं आने कि स्थिति में इन प्रमाण पत्रों के आधार पर दायर नामांकन पत्र खारिज हो सकते हैं। निर्वाचन पर भी सवाल उठने तय है।