वहीं, कोरोना महामारी के दौरान भी यह घातक है। न केवल चबाने वाले तंबाकू बल्कि धूम्रपान भी कोरोना फैलाने में सहायक हैं। इसका कारण तंबाकू द्वारा बनने वाला थूक और पीक है। जिसमें कोरोना के वायरस होते हैं और एक से दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति द्वारा छोड़े जाने वाली फेंफड़ों की हवा में कोरोना के वायरस हो सकते हैं, जो कि सांस द्वारा अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस बार विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर थीम ‘युवाओं को तंबाकू उद्योग के हथकंडे से बचाना और उन्हे तंबाकू और निकोटिन के इस्तेमाल से रोकनाÓ है।
तंबाकू का धुआं इनडोर प्रदूषण का खतरनाक रूप सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग के आचार्य डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि तंबाकू का धुआं इनडोर प्रदूषण का बहुत खतरनाक रूप है, क्योंकि इसमें 7000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 69 कैंसर का कारण बनते हैं। तंबाकू का धुआं पांच घंटे तक हवा में रहता है, जो फेफड़ों के कैंसर, सीओपीडी और फेफड़ों के संक्रमण को बढ़ाता है। धूम्रपान करने वालों को कोरोना के संक्रमण खतरा भी अधिक रहता है, क्योकि वह बार बार सिगरेट व बीड़ी को मुंह में लगाते हैं। धूम्रपान करने वालों के फैंफड़ों की क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे कोरोना संक्रमण होने पर मौत की संभावना कई गुणा तक बढ़ जाती है।
राजस्थान एक नजर
ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (5 में से 2 पुरुष, 10 में से 1 महिला) किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं। – युवाओं में इनके सेवन की औसत उम्र अब 18 वर्ष है, जोकि 2009-10 में 17 वर्ष थी।
– 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलाएं शामिल है।
– 14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हैं, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष व 5.8 प्रतिशत महिलाए हैं।
– 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलाएं शामिल है।
– 14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हैं, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष व 5.8 प्रतिशत महिलाए हैं।