सबसे चौकाने वाली बात यह है कि इस समीक्षा रिपोर्ट में पहले रैंक पर देश का कोई भी राज्य या केन्द्र शासित क्षेत्र नहीं आया है। इस सूची की शुरूआत दूसरे रैंक से ही हुई है, जिसमें केरल, पंजाब, राजस्थान जैसे सात राज्य हैं। तीसरे रैंक पाने वालें राज्यों में बंगाल सहित 12 राज्य हैं।
हर वर्ष होती है समीक्षा
देश के सभी राज्यों की स्कूली शिक्षा के स्तर का पता लगाने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय यह समीक्षा रिपोर्ट तैयार करती है। मंत्रालय ने इसकी शुरूआत वर्ष 2017-18 में की। तबसे हर वर्ष यह रिपोर्ट तैयार की जाती है। यह स्कूल शिक्षा के विभिन्न मापदंडों के आधार पर तैयार की जाती है।
चार वर्ष में पांच पैदान ऊपर उठा बंगाल
इस परफॉर्मिंग ग्रेडिंग इंडेक्स के अनुसार बंगाल की स्कूली शिक्षा का स्तर लागातार बेहतर हुआ है। वर्ष 2017-18 की रिपोर्ट में बंगाल को आठवां रैंक मिला था। तब बंगाल को 601 से 650 के बीच नंबर मिले थे। वर्ष 2018-19 में 701 से 750 के बीच नंबर पाकर छठवें और वर्ष 2019-20 में 801 से 850 नंबर पाकर चौथें रैंक पर पहुंच गया। इस बार बंगाल को 1000 में से 866 नंबर मिले हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि बंगाल शिक्षा के क्षेत्र में लागातार आगे बढ़ रहा है।
शिक्षा विशेषज्ञों को आशंका
शिक्षा विशेषज्ञों के एक वर्ग को इस रिपोर्ट में बंगाल की स्कूली शिक्षा के स्तर में लागातार हो रहे सुधार पर आशंका हो रही हैं। उनका तर्क है कि लगभग एक दशक से शिक्षक से लेकर विभिन्न बुनियादी ढ़ाचे और अन्य समस्याओं के बावजूद बंगाल की स्कूली शिक्षा के स्तर कैसे सुधर रहे हैं। लगता है उक्त रिपोर्ट विभिन्न स्कूलों की ओर से केन्द्र के स्कूल शिक्षा विभाग के यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम ऑफ एजुकेशन को दिए गए तथ्यों के आधार पर है। लेकिन स्कूलों की ओर से दिए गए तथ्यों की जांच नहीं हुई है। बंगाल के सरकारी स्कूल समिति के महासचिव सौगत बसु ने कहा कि स्कूल की ओर से भेजे गए तथ्य और सच्चाई में काफी अंतर होता है।