एडवोकेट विकास जैन ने बताया कि केन्द्र सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक पिछड़ा वर्ग को १० फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया और 12 जनवरी,2019 को अधिसूचना जारी हो गई। 18 जनवरी,2019 को यूजीसी ने सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी और अन्य संबद्ध संस्थानों को 2019-20 के सत्र से ही आर्थिक पिछड़ा वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने के आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन,आयुष विभाग 2019-20 के सत्र से केवल यूजी कोर्स में ही यह आरक्षण दे रहा है और पीजी कोर्स में 2020-2021 के सत्र से देने का प्रावधान कर रहा है। आयुष विभाग ने इसका कारण पीजी कोर्स में यूजी कोर्स के मुकाबले पात्रता ऊंची होना बताया।
कोर्ट ने आयुष विभाग के बताए गए कारण को असंतोषजनक बताते हुए कहा है कि पीजी कोर्स की पात्रता निश्चित तौर पर यूजी कोर्स से ऊंची होती है। लेकिन,इसका सीटों के आरक्षण से कोई संबंध नहीं है क्योंकि आरक्षण सभी श्रेणी के लिए एक समान होता है। 17 जनवरी,2019 की अधिसूचना से आर्थिक पिछड़ों को आरक्षण 2019-20 के सत्र से लागू हो चुका है। इसलिए केवल यूजी कोर्स तक सीमित करना आयुष विभाग के ना क्षेत्राधिकार में है ना ही उसे एेसा करने का अधिकार है। केन्द्र सरकार के सभी संस्थानों में समान रुप से आर्थिक पिछड़ा वर्ग का आरक्षण लागू होना आवश्यक है।