scriptबाबूगिरी में फंस गया ‘पोषाहार’…भूखे रह जाएंगे इस जिले के स्‍कूली बच्‍चे | Not available in schools in Dungarpur, midday meal | Patrika News

बाबूगिरी में फंस गया ‘पोषाहार’…भूखे रह जाएंगे इस जिले के स्‍कूली बच्‍चे

locationजयपुरPublished: Oct 24, 2018 07:59:26 am

Submitted by:

dharmendra singh

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

midday meal

बाबूगिरी में फंस गया ‘पोषाहार’…भूखे रह जाएंगे इस जिले के स्‍कूली बच्‍चे

कई विद्यालयों में इस सत्र में एक दाना भी नहीं पहुंच पाया
जयपुर
डूंगरपुर में राजकीय विद्यालयों के बच्‍चों का ‘पोषाहार’ बाबूगिरी में फंसता नजर आ रही है। अधिकारी नए विभागीय सेटअप में खुद को सेट करने की फिराक में लगे हुए हैं, और अधिकांश विद्यालयों के मांग पत्र एक-विभाग से दूसरे विभाग में ही घूम रहे हैं, तीन-तीन माह से पोषाहार मद में राशि जमा नहीं होने पर विद्यालयों ने भी अब हाथ खड़े करने शुरू कर दिए हैं।
कुक कम हेल्पर को मानदेय का भुगतान नहीं
दरअसल, स्‍कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से शुरू की गई पोषाहार व्यवस्था पर हाल ही में शिक्षा विभाग में अधिकारियों के नए सेटअप ने पलीता लगा दिया है। हालात यह है कि नए कार्यालय सेटअप के चलते जुलाई माह से अधिकांश विद्यालयों में अब तक पोषाहार मद में नहीं तो कंजर्वन राशि जमा हुई है और नहीं कुक कम हेल्पर को मानदेय का भुगतान हो पाया है। इतना ही नहीं, कई राजकीय विद्यालयों में इस सत्र में अब तक गेहूं और चावल का एक दाना भी नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में राजकीय विद्यालयों में पोषाहार व्यवस्था पर संकट खड़ा हो गया है।
इसीलिए आ रही समस्या
इससे पहले संस्था प्रधान गत माह के नामांकित एवं लाभान्वित विद्यार्थियों के आधार पर मांग पत्र बनाकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को भेजते थे। यहां से बीईईओ समेकित सूचना डीईओ को भेजते थे। डीईओ वापस इसी क्रम से राशि स्कूलों के खातों में जमा करवाते थे, इसी तरह खाद्यान्न भी आपूर्ति की जा रही थी। अब नई व्यवस्था के तहत अब संस्था प्रधान मांग पत्र पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) को भेजते हैं। पीईईओ समेकित सूचना संग्रहित कर सीडीबीईओ को भेजते हैं। यहां से सूचनाएं डीईओ को भेजनी हैं और अंत में डीईओ से सीधे राशि स्कूलों के खातों में जमा होगी।

बजट तो है भरपूर
विभाग का मानना है कि पीईईओ के पास पर्याप्त स्टॉफ नहीं है। ऐसे में वह इस कार्य में अधिक रुचि नहीं ले रहे हैं। एक भी पीईईओ से सूचना नहीं आने से बीडीईओ सूचना नहीं भेज पा रहे हैं और वहां से सूचनाएं पूर्ण नहीं आने से पूरे जिले की राशि अटक रही है। जबकि, स्थिति यह है कि बजट भरपूर है। यदि आज सूचनाएं समेकित प्राप्त हो जाए, तो आज ही राशि स्कूलों के खातें में जमा हो जाए।
दूध की राशि भी अटकी
राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को रोज गर्मागर्म दूध देने के लिए शुरू की गई अन्नपूर्णा योजना पर अव्यवस्थाओं का असर साफ पड़ रहा है। स्थितियां यह है कि सितम्बर माह की राशि स्कूलों में जमा ही नहीं हुई हैं, तो कई स्कूलों में अगस्त और सितम्बर दो-दो माह से अधिक का बकाया हो गया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो