हैड कांस्टेबल, सहायक उपनिरीक्षक, उपनिरीक्षक व निरीक्षक के रिक्त पद भरने के लिए एडहोक प्रमोशन (तदर्थ पदोन्नति) का प्रस्ताव तैयार किया। गत सरकार के समय वरिष्ठता के आधार पर छह हजार कांस्टेबलों को पदोन्नत करने की तरह यह भी बड़ा कदम बताया जा रहा था। पुलिस मुख्यालय का तर्क था कि इसमें पुलिस र्किमयों को अतिरिक्त वेतन भी नहीं देना होगा। इस प्रस्ताव को सरकार ने स्वीकार नहीं किया।
इसलिए बनाया था प्रस्ताव महकमे में आपराधिक मामलों की जांच का जिम्मा प्रमुख रूप से हैड कांस्टेबल से निरीक्षक स्तर के पुलिसर्किमयों के पास रहता है। पुलिस में हैड कांस्टेबल के करीब 18 प्रतिशत, सहायक उपनिरीक्षक के 37 प्रतिशत, उपनिरीक्षक के 44 प्रतिशत तथा निरीक्षक के 28 प्रतिशत पद रिक्त हैं। सबसे अधिक पद उपनिरीक्षक के खाली हैं। उप निरीक्षक पदों को सीधी भर्ती के साथ प्रमोशन से भी भरे जाते हैं। सीधी भर्ती में समय अधिक लगने से ये पद खाली पड़े हैं। वर्ष 2010 की भर्ती की प्रक्रिया गत वर्ष ही पूरी हुई है। इसी तरह हैड कांस्टेबल व सहायक उपनिरीक्षक के पद पदोन्नति से भरे जाते हैं, जिनमें भी समय लगता है। ऐसे में एडहोक प्रमोशन की तैयारी की गई थी। प्रस्ताव में बताया गया था कि तय प्रक्रिया से प्रमोशन होने पर उन्हें समायोजित कर लिया जाएगा। बताया जाता है कि यह प्रक्रिया अस्सी के दशक में चलन में थी। बाद में इसे बंद कर दिया गया।