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प्रधानमंत्री आवास योजना का नहीं मिल रहा लाभ, 23 परिवारों को 30 साल से छत की आस

locationजयपुरPublished: Dec 24, 2017 11:01:05 pm

Submitted by:

vinod sharma

राजधानी के बांसखोह ग्राम पंचायत क्षेत्र के 23 बंजारा परिवार खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजार रहे है।

Prime Minister's housing scheme
बांसखोह (जयपुर)। राजधानी की नाक के नीचे बांसखोह ग्राम पंचायत क्षेत्र के 23 बंजारा परिवारों को खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारनी पड़ रही है। हैरत की बात ये है कि जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते इन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना में भी घर नसीब नहीं हुआ, जिसके चलते ये परिवार पिछले तीस सालों से इधर-उधर डेरा जमाकर रहने को मजबूर हैं। पंचायत ने आबादी भूमि में जमीन आवंटित करके पट्टा जारी कर दिया, लेकिन मकान के लिए तरस रहे हैं।
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जानकारी अनुसार बंजारा जाति के इन परिवारों ने करीब 30 वर्ष पूर्व बांसखोह पंचायत के निमोरा गांव में डेरा डाला। करीब 10-12 वर्ष तक यहां पहाड़ी इलाके में ही रहकर जीवनयापन किया। घर नहीं होने पर ग्राम पंचायत से गुहार की तो ग्राम पंचायत प्रशासन ने उनको चित्तोड़ी गांव की चरागाह भूमि में बसा दिया। जमीन में से आवंटन के लिए ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेज दिया लेकिन यहां करीब 15 साल गुजारने के बाद भी यह जमीन आबादी में परिवर्तित नहीं हो सकी। मजेदार बात यह हैं कि बीसलपुर परियोजना के लिए 5 बीघा जमीन का प्रस्ताव तो कलक्टर ने स्वीकार कर बीसलपुर के नाम जमीन आवंटित कर दी, लेकिन इन बेघर परिवारों के लिए इससे पहले ग्राम पंचायत की ओर से बनाकर भेजे प्रस्तावों को कलक्टर ने आपत्ति दर्शाकर लौटा दिए।
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सुविधाओं से वंचित
ग्राम पंचायत प्रशासन ने इन परिवारों को जमीन उपलब्ध करवा दी, लेकिन सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा से वंचित हैं। पहले जब ये चित्तौड़ी में रहते थे तो टेकचन्दपुरा विद्यालय में इनके बच्चे पढ़ते थे, लेकिन बांसखोह में आने पर बच्चों की पढ़ाई छूट गई। पेयजल के लिए भी दूर जाना पड़ता है। इन समस्याओं के बाद भी प्रशासन इन परिवारों की सुध नहीें ले रहा। गैंदी बंजारा एवं मूमल बंजारा का कहना है कि अधिकारियों, कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों सब भरोसा देते हैं, लेकिन तीस साल से छत नसीब नहीं हो पा रही है।
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आवासविहीन को थी प्रथम वरीयता
बंजारा परिवारों ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना से उम्मीद थी कि इस योजना से आवंटित भूमि पर मकान बनाने के लिए राशि मिल जाएगी, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते लाभ से वंचित हो गए, जबकि योजना में बिना आवास के परिवारों को पहले वरीयता देना चाहिए था। जिला परिषद सदस्य बेनीप्रसाद कटारिया ने इन परिवारों के आवास के लिए जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में मामला उठाया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
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सिर्फ एक को मिली राशि
इससे पहले चित्तौड़ी गांव में बसे इन परिवारों का वर्ष 2012 में इन्द्रा आवास योजना में चयन किया था। प्रथम किस्त की 30-30 हजार रुपए की राशि भी खातों में हस्तानान्तरित की गई, लेकिन इनके पास पट्टाशुदा भूमि नहीं होने से आई राशि सरकार को लौटानी पड़ी। सन् 2011 की सामाजिक व आर्थिक जनगणना के अनुसार इन परिवारों को आवासविहीन बताकर 9 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास की सूची में शामिल भी कर लिया गया, लेकिन वर्तमान में एक परिवार को ही राशि आवंटित हुई हैं। अब भी 23 परिवार मकान को तरस रहे हैं।
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इनका कहना है
इन 23 परिवारों को बसाने के लिए ग्राम पंचायत ने निशुल्क पट्टे देकर जमीन दे दी, जिसमें ये तिरपाल में निवास कर रहे हैं। हमने इन परिवारों को आवास मुहैया कराने के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया, लेकिन एक परिवार को छोड़कर शेष परिवारों के लिए आवास स्वीकृत नहीं हुए।
मंगलाराम मीना, सरपंच, ग्राम पंचायत बांसखोह
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बस्सी पंचायत समिति में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 153 आवास बनाने का टार्गेट था, जो पूरा हो गया। बंजारा जाति के इन परिवारों को आवास दिलाने के लिए मैंने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अवगत करवाया है। अगर सीईओ साहब टारगेट बढ़ाते हैं तो इन परिवारों को राहत मिल सकती हैं।
नीरू मीना,विकास अधिकारी बस्सी
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यदि पंचायत समिति की ओर से मेरे पास इन घूमंतू परिवारों को आवास के लिए प्रस्ताव आता है तो इनको आवास दिलाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
मूलचंद मीना, जिला परिषद बस्सी
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