मुकंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ हीं नहीं पैंथर्स का भी हुआ कब्जा
जयपुरPublished: Dec 04, 2019 10:27:49 am
रिजर्व क्षेत्र में में सात साल में दोगुणा बढ़ा पैंथर्स का कुनबा
जयपुर
बाघों के लिए संरक्षित घोषित किए गए मुकंदरा टाइगर रिजर्व में अब बाघ ही नहीं बल्कि पैंथर्स ने भी अपना कब्जा जमा लिया हैं। इस संरक्षित क्षेत्र में पैंथर का भी कुनबा अब बढ़ गया हैं। वन्यजीवों के लिए अनुकूल वातावरण के कारण इस जंगल में बाघों की संख्या में तो इजाफा हुआ ही है लेकिन अब इस क्षेत्र में पैंथर की संख्या में भी इजाफा हो गया हैं। जंगल में वन्यजीवों की अनुकूल परिस्थियों के कारण यहां पर पैंथर का कुनबा सात साल में बढ़कर दोगुणा तक जा पहुंचा हैं। वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार मुकंदरा टाइगर रिजर्व में 2012 में हुई गणना के अनुसार 15 पैंथर थे। लेकिन अब इनकी संख्या रिजर्व क्षेत्र में 35 से अधिक हो गई हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों और मुकंदरा टाइगर रिजर्व से जुड़े वन्य अधिकारियों की माने तो यहां पर बाघों के साथ साथ अब पैंथर्स का मूवमेंट भी देखने को मिलने रहा हैं। पूरे वन क्षेत्र में टाइगर के साथ पैंथर का मूवमेंट दिखाई देता हैं। रिजर्व क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए भोजन व पानी की पर्याप्त व्यवस्था हैं। यहीं कारण है कि मुकंदरा टाइगर रिजर्व में पैंथर का कुनबा बढ़ गया हैं। पैंथर ज्यातादर श्वान और लंगूर का शिकार करता हैं। रिजर्व क्षेत्र में लंगूर की अच्छी खासी तादाद होने के कारण अब पैंथर्स ने एक ही इलाके में डेरा जमा लिया हैं। जिस कारण से इनकी साइटिंग आसानी से हो रही है और इनका कुनबा बढ़ रहा हैं।
जवाहर सागर के आसपास सबसे ज्यादा पैंथर
मुकंदरा टाइगर रिजर्व की जवाहर सागर सेंचुरी में पैंथर की संख्या सबसे ज्यादा हैं। करीब 35 से अधिक पैंथर रिजर्व क्षेत्र में है जिनमें से 25 से अधिक पैंथर तो जवाहर सागर सेंचुरी के के आसपास में मूवमेंट करते हैं। जंगल के इस इलाके में अच्छी बारिश के कारण पानी की कमी नहीं हैं। वहीं पैंथर्स के लिए शिकार की भी कमी नहीं हैं।
यहां भी बढ़े पैंथर
सीकर जिले में पैंथर का कुनबा बढ़ गया हैं। यहां पैंथर बालेश्वर से लेकर खूड़, दांतारामगढ़ क्षेत्र तक मूवमेंट कर रहे है। वर्तमान में इस वन क्षेत्र में करीब चालीस से अधिक पैंथर हैं। वहीं जयपुर के नाहरगढ़ और झालाना के क्षेत्र में पैंथर की तादात बढ़ गई हैं। यहां भी करीब 31 से 32 की संख्या में पैंथर हैं। राज्यभर की अलग अलग इलाकों की बात करें तो यहां पर करीब 500 की संख्या में पैंथर हैं। हालांकि कुंभलगढ़ नेशनल पार्क में मई में हुई वन्य जीवाें की गणना के अनुसार यहां पैंथर की तादाद में कमी आ गई हैं। वर्ष 2018 में पैंथर का संख्या यहां 167 थी जो इस गणना में 154 रह गई
बाघों की संख्या भी बढ़ी
प्रदेश में पैंथर ही नहीं बल्कि बाघों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई हैं। पिछले चार साल यहां बाघों की संख्या 45 से बढ़कर 69 तक पहुंच गई है। 2018 की जारी रिपाेर्ट के अनुसार सर्वाधिक बाघों की संख्या के लिहाज से राजस्थान देश में आठवें स्थान पर पहुंच गया है। चार साल पहले 2014 में जब बाघों की गणना की गई थी, उस समय प्रदेश में बाघों की संख्या 45 थी।