बढ़ गई पतियों के साथ मारपीट पतियों के साथ मारपीट में इजाफा हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 की रिपोर्ट देखें तो यह मामले 9.6 फीसदी थे, जो अब बढ़कर 10 फीसदी हो गए हैं। हालांकि इनमें से कितने पुरुष कानूनी मदद के लिए आगे आए, इसके कोई आंकड़ें नहीं हैं। सर्वे में पुरुषों से मारपीट के आंकड़े भी महिलाओं से ही जुटाए गए हैं।
शहरों में बढ़े हैं मामले पुरुषों के साथ वैवाहिक हिंसा के मामले शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हैं। हालांकि, गांवों में ये मामले 5 सालों में घटे नहीं तो बढ़े भी नहीं हैं। 2015-16 में ये 3.7 फीसदी थे, जो अब भी वही हैं। शहरों में यह 3.1 से बढ़कर 3.3 फीसदी पर पहुंच गए हैं।
पत्नी ज्यादा पढ़ी-लिखी है तो यह मामले बढ़ने की आशंका पति और पत्नी की शिक्षा समान है तो वैवाहिक हिंसा के मामले कम होते हैं। अगर पत्नी ज्यादा पढ़ी-लिखी है तो यह मामले बढ़ने की आशंका रहती है। रिपोर्ट कहती है कि समान शिक्षा में पतियों के साथ हिंसा का आंकड़ा महज 2.8 फीसदी है। ज्यादा पढ़ी-लिखी पत्नी के मामले में यह 3.7 हो जाता है और अगर पति ज्यादा पढ़ा हुआ है तो 3.1 फीसदी। अगर दोनों ही अनपढ़ हैं तो यह आंकड़ा काफी बढ़ जाता है और 5.6 फीसदी पुरुष हिंसा का सामना करते हैं। यही हाल आर्थिक स्थिति में है। कमजोर आर्थिक वर्ग के 4.4 फीसदी पुरुष इसके शिकार हैं। वहीं अच्छी आर्थिक स्थिति होने पर यह घटकर 2.1 फीसदी रह जाता है।
उम्र के साथ बढ़ते हैं ऐसी हिंसा के मामले 18-19 की उम्र में मारपीट के मामले 0.8 फीसदी हैं, जबकि 30-39 की उम्र में तीन गुना बढ़कर 3.9 फीसदी हो गए हैं। महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा में भी यही चलन देखने में आया है कि बढ़ती उम्र में उनके साथ हिंसा के मामले भी बढ़े हैं।