scriptजेल में कोरोना:गंभीर अपराध के आरोपियों को रिहा नहीं करना संविधानिक-हाईकोर्ट | Not releasing serious offenders from jail is constitutional-HC | Patrika News

जेल में कोरोना:गंभीर अपराध के आरोपियों को रिहा नहीं करना संविधानिक-हाईकोर्ट

locationजयपुरPublished: Jun 18, 2020 07:56:51 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (serious) गंभीर और सरकार को प्रभावित करने वाले (crime) अपराधों के मामले में (convicted) सजा भुगत रहे (offenders) अपराधियों को (covid infection) कोरोना संक्रमण के कारण (special parole) विशेष पैरोल पर (release) रिहा नहीं करने की पाबंदी को (unconstitutional) असंवैधानिक मानने से (refuse) इनकार करते हुए इस संबंध में दायर याचिका को (dismissed) खारिज कर दिया।

जेल में कोरोना:गंभीर अपराध के आरोपियों को रिहा नहीं करना संविधानिक-हाईकोर्ट

जेल में कोरोना:गंभीर अपराध के आरोपियों को रिहा नहीं करना संविधानिक-हाईकोर्ट

जयपुर
(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (serious) गंभीर और सरकार को प्रभावित करने वाले (crime) अपराधों के मामले में (convicted) सजा भुगत रहे (offenders) अपराधियों को (covid infection) कोरोना संक्रमण के कारण (special parole) विशेष पैरोल पर (release) रिहा नहीं करने की पाबंदी को (unconstitutional) असंवैधानिक मानने से (refuse) इनकार करते हुए इस संबंध में दायर याचिका को (dismissed)खारिज कर दिया। न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश मोनू व अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए।
याचिका में कहा गया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए जेलों में अपराधियों की संख्या कम करने के लिए सरकार ने पेरोल नियमों में संशोधन करते हुए नियम 10-बी को जोडा। इसके तहत एसिड अटैक, दुष्कर्म, डकैती, हत्या, धारा 4 और धारा 6 से जुडे पॉक्सो अधिनियम के अपराध, मादक पदार्थ अधिनियम, आर्थिक अपराध, एसीबी अधिनियम, मनी लॉड्रिंग, राष्ट्र विरोधी गतिविधि और विधि विरूद्ध क्रिया कलाप निवारण अधिनियम के साथ ही अन्य समान प्रकृति के मामले और सीबीआई की ओर से जांचे गए मामलों में शामिल अपराधियों को छोडकर अन्य अपराधियों को विशेष पेरोल पर रिहा करने का प्रावधान किया गया। कैदियों में इस तरह का भेदभाव करना संविधान के प्रावधान के खिलाफ है। याचिका में कहा गया कि कई गंभीर मामलों में अपराधियों को नियमित पेरोल का लाभ दिया गया और वे समय पर जेल में वापस भी आ चुके हैं। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं सहित अन्य कई कैदियों के चाल-चलन को देखते हुए खुली जेल में भेजने का निर्णय भी लिया जा चुका है। इसके बावजूद उन्हें विशेष पेरोल का लाभ नहीं देना गलत है। अदालत ने सरकार के कदम को संविधानिक मानते हुए याचिका खारिज कर दी।

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