गौर करने की बात है कि जिन शहरों में हॉलमार्क केंद्र नहीं हैं, वहां देश और प्रदेश में फिलहाल बिना हॉलमार्क के भी आभूषण की बिक्री की जा सकेगी। बीआईएस जयपुर प्रथम की प्रमुख कनिका कालिया का भी कहना है कि ज्वैलरी की हॉलमार्किंग फिलहाल फर्स्ट प्वाइँट ऑफ सेल पर ही लगती है। इसलिए फिलहाल हॉलमार्किंग का दबाव मुंबई, सूरत और अहमदाबाद जैसे महानगरों में ही है, जहां से अधिकांश ज्वैलर्स माल खरीदकर लाते हैं। राजस्थान के हॉलमार्किंग सेंटर एसोसिएशन के चेयरमैन उदय सोनी ने बताया कि इसलिए इन महानगरों के शहरों के हॉलमार्किंग के सेंटर पर हॉलमार्किंग के लिए 10 से अधिक दिनों की वैटिंग तक चल रही है, दूसरी तरफ जयपुर और राजस्थान के हॉलमार्किंग सेंटर्स पर कोई खास काम ही नहीं है।
बता दें फिलहाल यह सालाना 40 लाख रुपए से अधिक के टर्नओवर के कारोबारियों पर यह शुरू में लागू हुआ है। देश के 256 जिलों और राजस्थान के 18 जिलों में 16 जून से यह प्रावधान लागू हो गए थे। इस योजना से ज्यादा से ज्यादा ज्वैलर्स जुड़ें इसके लिए रजिस्ट्रेशन फीस संपूर्ण रूप से समाप्त कर दी गई है। साथ ही, पोल्की मीना, कुंदन, जड़ाऊ ज्वैलरी और घड़ी को हॉल मार्किंग से बाहर रखा गया है। सरकार का दावा है कि भारतीय मानक ब्यूरो के इस निर्णय से उपभोक्ताओं को शुद्वता की गारंटी वाली ज्वैलरी खरीदने को मिल सकेगी।