कर रहे फोन स्पायिंग
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार साइबर की भाषा में इसे फोन स्पायिंग कहते हैं। इसमें ठग स्पायिंग प्रोग्राम या ट्रोजन डालकर दूसरे डिवाइस से फोन को कंट्रोल करते हैं। इससे फोन और डाटा साइबर अपराधी के पास चला जाता है। ट्रोजन संबंधित यूजर को पता लगे बिना उसके सिस्टम या फोन का पूरा बैकडोर एक्सेस ठग तक पहुंचा देता है। यह एक बार सिस्टम में आ जाए तो आसानी से जाता नहीं है। देश में 75 फीसदी फोन यूजर अपने मोबाइल में इंटरनेट सिक्योरिटी ऐप नहीं रखते, जिससे ट्रोजन के आने का खतरा बढ़ जाता है।
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार साइबर की भाषा में इसे फोन स्पायिंग कहते हैं। इसमें ठग स्पायिंग प्रोग्राम या ट्रोजन डालकर दूसरे डिवाइस से फोन को कंट्रोल करते हैं। इससे फोन और डाटा साइबर अपराधी के पास चला जाता है। ट्रोजन संबंधित यूजर को पता लगे बिना उसके सिस्टम या फोन का पूरा बैकडोर एक्सेस ठग तक पहुंचा देता है। यह एक बार सिस्टम में आ जाए तो आसानी से जाता नहीं है। देश में 75 फीसदी फोन यूजर अपने मोबाइल में इंटरनेट सिक्योरिटी ऐप नहीं रखते, जिससे ट्रोजन के आने का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे ठग रहे शातिर, ये हैं उदाहरण केस-01 मुरलीपुरा में बीएसएफ से सेवानिवृत्त महेन्द्र सिंह ने दोस्त राजेन्द्र को भीम ऐप से 5 हजार ट्रांसफर किए लेकिन राजेन्द्र के खाते में रुपए आने का मैसेज नहीं दिखा। इस पर महेन्द्र ने भीम ऐप कस्टमर केयर के नंबर ढंूढे तो 3-4 नंबर दिखे। उनमें से एक पर कॉल किया लेकिन किसी ने रिसीव नहीं किया। सुबह उसी नम्बर से कॉल आया कि वह ऐप कस्टमर केयर से बोल रहा है। उसने ऐप पर रजिस्टर्ड नम्बर पूछा और मोबाइल में ऐप खोलने, दोस्त के खाते में रुपए वापस ट्रांसफर करने को कहा। इस तरह 4 खातों में रुपए ट्रंासफर कराए। फिर शातिर ने कहा कि समस्या दूर हो गई है, फोन की स्क्रीन पर 2 ऑप्शन आएंगे उन पर क्लिक कर देना। ऑप्शन पर जैसे ही क्लिक किया, फोन हैंग हो गया।
केस-02
बजाजनगर में देवीनगर निवासी अंकेश जैन का मोबाइल हैक कर 2 अक्टूबर को किसी ने पे-वॉलेट से 10798 रुपए निकाल लिए। मोबाइल पर कोई ओटीपी भी नहीं आया। इस राशि से ठग ने मोबाइल फोन बुक कराया था। इसी तरह टोंक रोड स्थित एक कैफे के शुभम भंडारी का मोबाइल भी हैक कर 16999 रुपए निकालकर मोबाइल फोन बुक कराया गया।
बजाजनगर में देवीनगर निवासी अंकेश जैन का मोबाइल हैक कर 2 अक्टूबर को किसी ने पे-वॉलेट से 10798 रुपए निकाल लिए। मोबाइल पर कोई ओटीपी भी नहीं आया। इस राशि से ठग ने मोबाइल फोन बुक कराया था। इसी तरह टोंक रोड स्थित एक कैफे के शुभम भंडारी का मोबाइल भी हैक कर 16999 रुपए निकालकर मोबाइल फोन बुक कराया गया।
केस-03
झोटवाड़ा के अग्रवालों का मोहल्ला निवासी अक्षिता अग्रवाल का मोबाइल हैक कर डेबिट कार्ड से अलग-अलग दिनों में कई तरह से 67500 रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया। ठग ने कार्ड के जरिए शॉपिंग की, कैश निकाला। अक्षिता के मोबाइल पर कोई मैसेज भी नहीं आया। बैंक से खाते की डिटेल निकाली तो ठगी का पता चला।
झोटवाड़ा के अग्रवालों का मोहल्ला निवासी अक्षिता अग्रवाल का मोबाइल हैक कर डेबिट कार्ड से अलग-अलग दिनों में कई तरह से 67500 रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया। ठग ने कार्ड के जरिए शॉपिंग की, कैश निकाला। अक्षिता के मोबाइल पर कोई मैसेज भी नहीं आया। बैंक से खाते की डिटेल निकाली तो ठगी का पता चला।
यों दूसरे हाथों में चला जाता है आपका फोन
संबंधित ऐप फोन में टाइप होने वाले सभी डाटा को की-लोगर प्रोग्राम के जरिए रिकॉर्ड कर नियमित अन्तराल पर साइबर अपराधियों तक पहुंचाते हैं। इसी तरह पासवर्ड चोरी होते हैं। चूंकि इन ऐप के जरिए फोन का बैकडोर एक्सेस साइबर अपराधियों के पास होता है, वे मोबाइल बैंकिंग ऐप या पेटीएम जैसे वॉलेट खुले होने पर उससे सीधे पैसा ट्रांसफर कर लेते हैं। फोन के हार्डवेयर का एक्सेस होने के कारण ये लोग किसी भी व्यक्ति को आपके फोन से फोन कर अपराध को भी अंजाम दे सकते हैं। कई बार कार्ड की डिटेल लेकर ये लोग ओटीपी जनरेट करते हैं। फोन पहले से ही उनके नियंत्रण में होता है इसलिए ओटीपी खुद ही निकालकर अंजाम देते हैं।
संबंधित ऐप फोन में टाइप होने वाले सभी डाटा को की-लोगर प्रोग्राम के जरिए रिकॉर्ड कर नियमित अन्तराल पर साइबर अपराधियों तक पहुंचाते हैं। इसी तरह पासवर्ड चोरी होते हैं। चूंकि इन ऐप के जरिए फोन का बैकडोर एक्सेस साइबर अपराधियों के पास होता है, वे मोबाइल बैंकिंग ऐप या पेटीएम जैसे वॉलेट खुले होने पर उससे सीधे पैसा ट्रांसफर कर लेते हैं। फोन के हार्डवेयर का एक्सेस होने के कारण ये लोग किसी भी व्यक्ति को आपके फोन से फोन कर अपराध को भी अंजाम दे सकते हैं। कई बार कार्ड की डिटेल लेकर ये लोग ओटीपी जनरेट करते हैं। फोन पहले से ही उनके नियंत्रण में होता है इसलिए ओटीपी खुद ही निकालकर अंजाम देते हैं।
कैसे डाला जाता है ट्रोजन
कई बार ऐप के साथ कोड बाइंड (कोड लगाना) कर दिया जाता है। मसलन, किसी म्यूजिक प्लेयर में ट्रोजन बाइंड किया हुआ है। इस स्थिति में गाना चलाने के साथ यूजर के फोन के साथ ठग छेड़छाड़ करना शुरू कर देगा।
कई बार कोई परिचित फोन लेकर ऐप इंस्टॉल कर देता है। बाद में हटाने पर भी ये बेकग्राउंड में कार्य करते रहते हैं।
कई बार ऐप के साथ कोड बाइंड (कोड लगाना) कर दिया जाता है। मसलन, किसी म्यूजिक प्लेयर में ट्रोजन बाइंड किया हुआ है। इस स्थिति में गाना चलाने के साथ यूजर के फोन के साथ ठग छेड़छाड़ करना शुरू कर देगा।
कई बार कोई परिचित फोन लेकर ऐप इंस्टॉल कर देता है। बाद में हटाने पर भी ये बेकग्राउंड में कार्य करते रहते हैं।
यों कर सकते हैं बचाव
– किसी भी अनजान लिंक से ऐप डाउनलोड नहीं करें।
– प्लेस्टोर से भी ऐप इंस्टॉल करने से पहले ऐप द्वारा मांगी गई सूचनाओं को ध्यान से पढ़ें। आपको लगता है ये सब सामान्य है तभी आगे प्रोसिड करें।
– अन्य यूजर एवीजी या नोर्टन फोन सिक्योरिटी ऐप डाउनलोड करें और पासवर्ड लगा कॉन्फिगर करें। इससे फोन में ट्रोजन आने का खतरा 90 फीसदी तक कम हो जाएगा।
– आप जिओ यूजर हैं तो जिओ सिक्योरिटी ऐप डालकर कॉन्फिगर करके रखें। फोन चोरी होने की स्थिति में भी इसके द्वारा फोन ट्रेस किया जा सकता है।
– क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल्स फोन में नहीं रखें, हैकर सबसे पहले इन्हें को निशाना बनाते हैं।
ऐप लॉकर का उपयोग करें।
(राज्य सरकार के पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार एवं आइटी कंसलटेंट आयुष भारद्वाज के अनुसार)
– किसी भी अनजान लिंक से ऐप डाउनलोड नहीं करें।
– प्लेस्टोर से भी ऐप इंस्टॉल करने से पहले ऐप द्वारा मांगी गई सूचनाओं को ध्यान से पढ़ें। आपको लगता है ये सब सामान्य है तभी आगे प्रोसिड करें।
– अन्य यूजर एवीजी या नोर्टन फोन सिक्योरिटी ऐप डाउनलोड करें और पासवर्ड लगा कॉन्फिगर करें। इससे फोन में ट्रोजन आने का खतरा 90 फीसदी तक कम हो जाएगा।
– आप जिओ यूजर हैं तो जिओ सिक्योरिटी ऐप डालकर कॉन्फिगर करके रखें। फोन चोरी होने की स्थिति में भी इसके द्वारा फोन ट्रेस किया जा सकता है।
– क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल्स फोन में नहीं रखें, हैकर सबसे पहले इन्हें को निशाना बनाते हैं।
ऐप लॉकर का उपयोग करें।
(राज्य सरकार के पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार एवं आइटी कंसलटेंट आयुष भारद्वाज के अनुसार)