ड्रोन से खेत के चित्र लेने, फसलों की गिरदावरी, फसल बीमा, मृदा स्वास्थ्य, फ सल स्वास्थ्य, फसल संरक्षण, कीट बीमारियों से बचाव, खरपतवार प्रबंधन, पौधों व फसलों पर पानी के छिड़काव, बगीचों में ऊंचे वृक्षों पर स्प्रे करने के साथ कीटों पर रसायन छिड़काव में इसका उपयोग किया जा सकेगा। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। ड्रोन की मदद से मौसम परिवर्तन का पता लगाया जा सकेगा। संधू ने बताया कि मृदा में सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी का पता भी इससे लगाया जा सकेगा। जिससे स्मार्ट कृषि को बढ़ावा मिलेगा। इसकी संभावनाओं के बारे में जानकारी के बाद विवि. एमओयू कर सकेंगे।
ड्रोन की मदद से टिड्डी दल के हमलों का भी पता लगाया जा सकता है। अन्ना विवि के प्रोफे सर सैंथिल ने बताया कि उनकी टीम पोकरण में भारतीय सेना के लिए इसका डेमो देकर आई है। ड्रोन तकनीक के माध्यम से कई त्रासदियों से बचाव भी संभव है। (निसं)