जयपुर

निगरानी में अब नवाचार

ड्रोन से रखेंगे फसलों की निगरानी- विदेशों की तकनीक अब जोबनेर में होगी साकार होगा- जोबनेर के श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विवि. में हुआ ड्रोन का परीक्षण

जयपुरFeb 20, 2020 / 12:48 am

manoj sharma

निगरानी में अब नवाचार

जयपुर. अब ड्रोन से फोटो ही नहीं, बल्कि खेतों में फसलों की भी निगरानी की जाएगी। इसको लेकर नई तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यूरोपीय देशों में कृषि के उपयोग में ली जाने वाली ड्रोन तकनीक से राजस्थान में भी फसलों की निगरानी की जाएगी। इस तकनीक से खेतों में आ रही समस्याओं का निराकरण हो सकेगा, साथ ही विद्यार्थियों के लिए नए शोध के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे। बुधवार को कस्बे के श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विवि. में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अन्ना विवि. तमिलनाडु से आए प्रोफे सर सैंथिल व संजय छोकर के नेतृत्व में ड्रोन तकनीक का परीक्षण किया गया। जल्द ही ड्रोन के लिए एमओयू किया जाएगा।
विवि के कुलपति डॉ. जे.एस.संधू ने बताया कि राजस्थान में अभी तक किसी भी कृषि विश्वविद्यालय में इसका प्रयोग नहीं हुआ है। जबकि तमिलनाडु व आंध्रप्रदेश में इसका उपयोग किया जा रहा है। कृषि के क्षेत्र में यह तकनीक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह ड्रोन पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसका निर्माण अन्ना विवि. के विद्यार्थियों द्वारा किया गया है। राजस्थान में इसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया है जबकि यूरोपीय देशों में इसका उपयोग हो रहा है। कुलपति ने भी खेतों में ड्रोन को रिमोट की सहायता से उड़ाया। उन्होंने बताया कि इस विषय पर अध्ययन कर विश्वविद्यालय में सर्टिफि केट कोर्स शुरू करने की भी संभावना है।
इन कार्यों के लिए होगा कारगर
ड्रोन से खेत के चित्र लेने, फसलों की गिरदावरी, फसल बीमा, मृदा स्वास्थ्य, फ सल स्वास्थ्य, फसल संरक्षण, कीट बीमारियों से बचाव, खरपतवार प्रबंधन, पौधों व फसलों पर पानी के छिड़काव, बगीचों में ऊंचे वृक्षों पर स्प्रे करने के साथ कीटों पर रसायन छिड़काव में इसका उपयोग किया जा सकेगा। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। ड्रोन की मदद से मौसम परिवर्तन का पता लगाया जा सकेगा। संधू ने बताया कि मृदा में सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी का पता भी इससे लगाया जा सकेगा। जिससे स्मार्ट कृषि को बढ़ावा मिलेगा। इसकी संभावनाओं के बारे में जानकारी के बाद विवि. एमओयू कर सकेंगे।
50 किमी दायरे तक है क्षमता
ड्रोन की मदद से टिड्डी दल के हमलों का भी पता लगाया जा सकता है। अन्ना विवि के प्रोफे सर सैंथिल ने बताया कि उनकी टीम पोकरण में भारतीय सेना के लिए इसका डेमो देकर आई है। ड्रोन तकनीक के माध्यम से कई त्रासदियों से बचाव भी संभव है। (निसं)
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