दरअसल, राजस्थान सिविल सेवा नियम 1958 के नियम 17 में लघु शास्तियां लगाने का प्रावधान है। कार्मिक विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक उपखंड अधिकारी अब अपने अधिकार क्षेत्र के इन कार्मिकों की अधिकतम दो वेतन वृद्धियां तक असंचयी प्रभाव से रोक सकेंगे। हालांकि इस अधिसूचना में यह भी साफ किया गया है कि उपखंड अधिकारी की इस कार्रवाई के खिलाफ नियम 23 के तहत संबंधित कार्मिक निर्धारित प्राधिकारी के सामने अपनी अपील पेश की जा सकेगी।
आपको बता दें कि उपखंड अधिकारी अब उपखंड में कार्यरत अधीनस्थ सेवाओं एवं मंत्रालयिक सेवा के कार्मिकों को 17 सीसीए के तहत चार्जशीट देकर दो वार्षिक इंक्रीमेंट रोक सकता है। पूर्व की व्यवस्था के तहत उपखंड अधिकारी कारण बताओ नोटिस देकर अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए जिला कलेक्टर को अनुशंसा करता था। यह कार्रवाई जिला कलेक्टर की अनुमति के बाद होती थी। उपखंड अधिकारियों काे उनके क्षेत्र में हाेने वाले हर सरकारी कार्य के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता था, लेकिन उन्हें इन कामों में लापरवाही बरतने वाले कार्मिकों के खिलाफ सीधे कार्रवाई करने संबंधी काेई अधिकार ही नहीं थे। उपखंड अधिकारी एेसे लापरवाह कार्मिकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए जिला कलेक्टर अथवा संबंधित विभाग के अधिकारियों काे कार्यवाही के लिए लिखते थे। लेकिन अब सरकार ने उपखंड अधिकारियों को कार्मिकों का इन्क्रीमेंट रोक सकने की पावर दे दी है।
इंक्रीमेंट रोक सकेंगे अफसर
नई अधिसूचना के मुताबिक उपखंड अधिकारी आबकारी इंस्पेक्टर, रसद इंस्पेक्टर, ट्रांसपोर्ट, लेबर डिपार्टमेंट के अधिकारियों को लापरवाही बरतने पर 17 सीसी के तहत नोटिस चार्जशीट देकर वार्षिक इंक्रीमेंट रोक सकेगा। उपखंड अधिकारी मंत्रालयिक सेवा के कर्मचारियों जैसे एलडीसी, यूडीसी के लापरवाही बरतने पर वार्षिक इंक्रीमेंट रोक सकता है। गौरतलतब है कि आरएएस एसोसिएशन लंबे समय से उपखंड अधिकारियों को अधिक शक्तियां देने की मांग करती रही है। सरकार की इस अधिसूचना से अफसरों की शक्तियों में बढ़ोतरी हुई है।