scriptअब इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान का बदलेगा नाम! | Now the name of the Indira Gandhi Panchayati Raj Institute will be cha | Patrika News

अब इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान का बदलेगा नाम!

locationजयपुरPublished: Jun 10, 2018 10:55:07 am

Submitted by:

HIMANSHU SHARMA

-संस्थान ने पंचायती राज विभाग को भेजी फाइल -विभाग ने रजिस्टर्ड सोसायटी के चलते संस्थान का संविधान और बैठकों में इसके प्रस्ताव को पारित करने की जानकारी मांगी

indira gandhi

statue of former PM indira gandhi in ajmer

जयपुर. राज्य सरकार इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान (आइजीपीआरएस) का नाम बदलने की तैयारी में लग गई है। इसके लिए संस्थान की ओर से पंचायती राज विभाग में इसकी फïाइल भेजी गई है। वहीं संस्थान के रजिस्टर्ड सोसायटी होने के चलते पंचायती राज विभाग ने संस्थान का संविधान और नाम बदलने के प्रस्ताव को पारित करने वाली बैठक का कार्यवाही विवरण भी मांगा है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि आइजीपीआरएस का नाम फिलहाल राजस्थान पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान करने का प्रस्ताव है। हालांकि आइजीपीआरएस के रजिस्टर्ड सोसायटी होने के चलते नाम बदलने की शुरुआती प्रक्रिया पर पंचायती राज विभाग के अफसरों ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। अब विभाग इस फाइल पर विधिक राय ले रहा है। सूत्रों ने बताया कि आइजीपीआरएस एक रजिस्टर्ड संस्था है। ऐसे में उसकी सभी तरह की कार्यवाही संस्थान के संविधान के तहत होती है। इसके साथ ही रजिस्टर्ड सोसायटी के नाम बदलने के लिए बैठक कर प्रस्ताव को पारित कर सब रजिस्ट्रार के यहां आवेदन भी करना होता है। पंचायती राज विभाग ने नाम परिवर्तन की फाइल को आगे बढ़ाने से पहले आइजीपीआरएस से इन सबकी जानकारी देने के लिए कहा है।
-1984 में गठन और 1989 में रजिस्ट्रेशन
पंचायती राज और ग्रामीण विकास में मानव संसाधन विकास तथा प्रशिक्षण के लिए सरकार ने ार्च 1984 में आइजीपीआरएस का गठन किया था। जबकि संस्थान को राजस्थान सोसायटीस रजिस्ट्रेशन एक्ट 1958 के तहत 1989 में बतौर सोसायटी रजिस्टर्ड कराया गया। वहीं 1999 में यहां स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डवलमेंट (एसआइआरडी) स्थापित किया गया।
-पहले भी बदले जा चुके हैं नाम
राज्य सरकार इस तरह का प्रस्ताव पहली बार लेकर नहीं आई है, बल्कि इससे पहले भी ऐसे प्रयास होते रहे हैं। राजीव गांधी सेवा केन्द्रों के नाम बदले गए थे, हालांकि हाइकोर्ट के आदेश के बाद सरकार को इसमें मुंह की खानी पड़ी। लेकिन एक बार पिफर इस दिशा में प्रयास हो रहा है।

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