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अब जंगल में ही मिलेगा बाघों को भोजन

locationजयपुरPublished: Sep 23, 2019 05:07:51 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

अब जंगल में ही मिलेगा बाघों को भोजनवाल्मीकि व्याघ्र अभ्यारण्य में बनेगा ग्रासलैंडवन्यजीवों को मिलेगा अनुकूल वातावरणशाकाहारी जानवरों को मिलेगा भोजन१५०० हेक्टेयर में बनाया जाएगा ग्रासलैंड

अब जंगल में ही मिलेगा बाघों को भोजन

अब जंगल में ही मिलेगा बाघों को भोजन

Grasslandबिहार (Bihar ) के पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि व्याघ्र अभ्यारण्य (Valmiki tiger forest ) में बाघ ( Tiger ) सहित अन्य जानवरों को अब अनुकूल वातावरण मिलेगा। अब अभ्यारण्य में शाकाहारी जानवरों के भोजन के लिए ग्रासलैंड (Grassland ) विकसित ( Develop ) करने का काम किया जा रहा है।
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बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि व्याघ्र अभ्यारण्य अब तक बाघ के प्राकृतिक रूप से विचरण करने के लिए ही सुविधाएं विकसित की गई थीं लेकिन अब इस अभ्यारण्य में अन्य वन्यजीवों के लिए भी सुविधाएं विकसित की जाएगी। यहां शाकाहारी जानवरों के भोजन के लिए ग्रासलैंड विकसित करने का काम किया जा रहा है। वाल्मीकि ब्याघ्र अभ्यारण्य के एक अधिकारी ने बताया कि वनक्षेत्रों में नए ग्रासलैंड बनाने और पुराने ग्रासलैंड को दुरुस्त करने का काम प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नए किस्म के घास लगाने का काम प्रारंभ किया गया है। अधिकारी का कहना है कि जल्द ही बाघों की सुरक्षा के लिए सशस्त्र टाइगर फोर्स का गठन करने पेट्रोलिंग पार्टी और वाइल्ड लाइफ ट्रैकर को हाईटेक बनाने तथा सूचनाओं का अदान.प्रदान करने के लिए वायरलेस ऑपरेटिंग स्टेशन को चुस्त.दुरुस्त कराया जाएगा।
वाल्मीकि व्याघ्र अभ्यारण्य के निदेशक हेमकांत राय ने कहा कि पूरे वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना क्षेत्र में इस साल 1500 हेक्टेयर में ग्रासलैंड बनाया जाएगा। कुछ क्षेत्रों में काम प्रारंभ हुआ है। इसमें कुछ इलाके में नए घास लगाए जाएंगे, जबकि कुछ इलाकों में पुराने घासों को दुरुस्त किया जाएगा। उन्होंने बताया कि व्यूह स्ट्रीट के आसपास की घासों को भी दुरुस्त किया जाएगा। राय का दावा है कि अगले एक.दो महीने में इन कामों को पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभयारण्य में नमी और पहाड़ी क्षेत्रों में घासों की अलग.अलग देखरेख करनी पड़ती है। ऐसे में घासों के प्रकार पर भी ध्यान दिया जा रहा है। वीटीआर के वनक्षेत्रों में जंगल के अंदर बाघों को भोजन के लिए शाकाहारी जानवरों की तादाद बढ़ाने के लिए ग्रासलैंड एक कड़ी साबित होगी। जंगल के अंदर ग्रासलैंड आवश्यकता के अनुसार होंगे तो चीतल, हिरण, सांभर, नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर जंगल के अंदर ही अधिवास बनाएंगे, जिससे बाघों को भोजन मिलता रहेगा।
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आपको बता दें कि वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक राष्ट्रीय उद्यान है। वाल्‍मीकि नगर, बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के सबसे उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के पास बेतिया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक छोटा कस्‍बा है जहां कम आबादी है और यह अधिकांशत वन क्षेत्र के अंदर है। पश्चिमी चंपारण जिले का एक रेलवे स्‍टेशन नरकटिया गंज के रेल हैड के पास स्थित है। यह पार्क उत्तर में नेपाल के रॉयल चितवन नेशनल पार्क और पश्चिम में हिमालय पर्वत की गंडक नदी से घिरा हुआ है।

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