राज्य के विधि विभाग ने इस कानून का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। राज्य सरकार राजस्थान प्रोहिबिशन फ्रॉम डेमोंसट्रेशन विद डेड बॉडी-2019 और राजस्थान प्रीवेंशन ऑफ डिस्प्रप्शन ऑफ पब्लिक मूवमेंट ओर्डिनेंश एक्ट ला रही है. इस एक्ट में सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है।
दरअसल प्रदेश में बीते कई सालों में दो दर्जन से ज्यादा प्रदर्शन हो चुके हैं, जिसमें शवों को भी आंदोलन प्रदर्शन के दौरान प्रयोग करते हैं। इससे शवों की भी दुर्गति होती थी और कानून और व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ती है। सूत्रों की माने तो राज्य में शव को लेकर आंदोलन करने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार इस तरह के मामलों को गैरकानूनी घोषित करेगी । लोग अपनी मांगे मनवाने के लिए शव के साथ धरना प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाते हैं ।
पहले मंथन हुआ था। पिछले दिनों मानवाधिकार आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ने भी शवों पर राजनीति को लेकर कानून बनाने के लिए राज्य सरकार को सुझाव दिया था। मानव अधिकार आयोग की ओर से तर्क देकर शवों पर राजनीति बंद करने का सुझाव दिया था कि शव के भी अपने अधिकार होते हैं।
उसका सम्मानजनक निस्तारण एक बुनियादी अधिकार है। सरकार अब इसी कानूनी पहलू को लेकर शव पर राजनीति रोकने के लिए यह कदम उठाने जा रही है. इसके प्रस्तावित कानून का ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है।