मंदी के पीछे ये भी कारण ईंट-भट्टा मालिकों का कहना है कि कोरोना काल में कोयले के दाम तीन गुना बढ़ गए थे। फिर जीएसटी स्लैब में बदलाव कर दिया गया और अब कोयले की आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं हो रही है। इसका सीधा असर व्यवसाय पर पड़ रहा है। कोरोना काल में कई तरह के कारोबार का हाल खास्ता हो गया था। अब हालात सुधरे तो सरकार ने जीएसटी की दरें बढ़ा दीं। जीएसटी की दरों से उबरे भी नहीं थे कि कोयले की कमी ने इस व्यवसाय को और मंदा कर दिया है।
कारोबार को ट्रैक पर लाने के प्रयास हों पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के कारण ईंट व्यवसाय चौपट हो गया है। अब देश मे कोयला संकट आ गया है। ऐसे में ईंट-भट्टा उद्योग को कोयले की सुचारू आपूर्ति के लिए नई नीति बनानी चाहिए। जीएसटी दरें घटानी चाहिए। साथ ही नदी, नहर और अन्य तरह के जलाशय से मिट्टी निकालने की सुगमता होनी चाहिए।
-धीरेन्द्र मदान, अध्यक्ष, क्रेडाई राजस्थान