scriptघटने लगी कुरजां की संख्या | Number of Kurjans started to decrease | Patrika News

घटने लगी कुरजां की संख्या

locationजयपुरPublished: Dec 14, 2019 02:09:32 am

Submitted by:

sanjay kaushik

पानी की कमी ( Lack of Water ) और अनदेखी के कारण ( Due to Unseen ) राजस्थान में जोधपुर (Jodhpur ) जिले के फलौदी क्षेत्र के खीचन गांव में पड़ाव डालने वाली प्रवासी पक्षी कुरजां (डेमोसाइल क्रेन) की संख्या घटने ( Number of Domicile Crane Started to decrease ) लगी है और अब वे नया आशियाना भी ढूंढने लगी है। ( Jaipur News)

घटने लगी कुरजां की संख्या

घटने लगी कुरजां की संख्या

घटने लगी कुरजां की संख्या

-जिला जोधपुर… क्षेत्र फलौदी…गांव खीचन

-पानी की कमी…दाने-पानी की व्यवस्था नहीं

-पर्यटन-पशुपालन विभाग की उदासीनता

जैसलमेर। पानी की कमी ( Lack of Water ) और अनदेखी के कारण ( Due to Unseen ) राजस्थान में जोधपुर (Jodhpur ) जिले के फलौदी क्षेत्र के खीचन गांव में पड़ाव डालने वाली प्रवासी पक्षी कुरजां (डेमोसाइल क्रेन) की संख्या घटने ( number of Democile crane Started to decrease ) लगी है और अब वे नया आशियाना भी ढूंढने लगी है। ( Jaipur News) कुरजां की घटती संख्या का कारण इन विदेशी पक्षियों के लिए पर्यटन विभाग और पशुपालन विभाग की ओर से कोई खास प्रबंध नहीं करना भी माना जा रहा है। इन विभागों से पक्षियों के दाने पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और नहीं घायल पक्षियों के लिए उपचार की कोई व्यवस्था कर रखी है। साथ तालाब में घटता पानी भी इनकी संख्या में कमी का मुख्य कारण है। दो दिन पहले गांव में बड़ी मुश्किल से तीन चार हजार क्रेन नजर आई जबकि सितंबर में इनकी तादाद काफी थी। लाखों की तादाद में आने वाली साइबेरियन क्रेन की घटती संख्या से पक्षी प्रेमी काफी ङ्क्षचङ्क्षतत और व्यथित है।
-तालाब की दरकार…तलाश रहे नए आशियाने

इन पक्षियों को अठखेलियों और स्वछंद विचरण के लिए पानी से भरे तालाब चाहिए। मगर इस बार खीचन के तालाब में पानी बहुत कम है। जिसके चलते यहां पहुंचे पक्षियों ने अपने नए आशियाने ढूंढने के लिए उड़ान भर दी। इस कारण बाड़मेर जिले के पचपदरा के रेवाड़ा और मानसरोवर तालाब पर बड़ी तादाद में कुरजां ने डेरा जमाया है तो जोधपुर के ही बाप तहसील के कुछ तालाबों पर कुरजां ने अपने नए आशियाने बनाए हैं।
-लाखों की तादाद…6000 किमी से आकर डालती डेरा

कुरजां के कारण जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर स्थित फलौदी उपखंड का खीचन गांव दुनिया भर में अपनी खास पहचान बना चुका है। स्थानीय तालाबों पर आने वाली लाखों की तादाद में साइबेरियन (डेमोसाइल क्रेन) सदियों से शीतकालीन प्रवास पर छह हजार किलोमीटर की दूरी तय कर दल के साथ सितंबर महीने के अंत तक यहां डेरा डालती है। कुरजां के प्रवास के कारण खीचन अपना पर्यटन नक्शे पर खास स्थान बना चुका है। तो पर्यटन विभाग राजस्थान भी अपने प्रचार प्रसार में खींचन और कुरजां को खास तवज्जो देता है। प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में पर्यटक कुरजां की अठखेलियाँ देखने खीचन के तालाब पर पहुंचते हैं। इस वर्ष भी खीचन में बड़ी तादाद में साइबेरियन क्रेन इस गांव अपने नियत समय पर पहुंचे थे। मगर सितंबर से लेकर अब तक साइबेरियन क्रेन की संख्या में काफी गिरावट आई है।
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