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दूसरी बार निकली ओबीसी महिला मेयर की लॉटरी, फिर मंडराया ये संकट

locationजयपुरPublished: Oct 20, 2019 08:50:48 pm

Submitted by:

Prakash Kumawat

जयपुर में दूसरी बार ओबीसी वर्ग की महिला मेयर बनेगी। लेकिन इस बार महापौर एक नहीं दो होंगी। इससे पहले हुए निगम के दूसरे चुनाव में ओबीसी वर्ग की निर्मला वर्मा गुलाबीनगर की पहली मेयर बनी थी, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं सकी थी।

OBC woman mayor's lottery for second time

OBC woman mayor’s lottery for second time

जयपुर में दूसरी बार ओबीसी वर्ग की महिला मेयर बनेगी। लेकिन इस बार महापौर एक नहीं दो होंगी। इससे पहले हुए निगम के दूसरे चुनाव में ओबीसी वर्ग की निर्मला वर्मा गुलाबीनगर की पहली मेयर बनी थी, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं सकी थी। मेयर बनने के एक साल बाद ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी। उसके बाद शील धाभाई मेयर बनी, लेकिन उनके कई प्रोजेक्ट अधूरे रह गए थे। वे इस बार पिफर मेयर पद की दौड़ में शामिल हैं। बहरहाल दोनों ही दलों में मेयर प्रत्याशी की तलाश शुरू हो गई है।
जयपुर में इस बार दो नगर निगमों ग्रेटर जयपुर तथा हैरीटेज जयपुर के चुनाव होंगे। दोनों में मेयर की लॉटरी ओबीसी महिला के खाते में खुलने के कारण ओबीसी वर्ग के कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ मेयर की जोड़तोड़ में जुट गए हैं। भाजपा—कांग्रेस में अभी से लॉबिंग के प्रयास शुरू हो गए हैं।
गौरतलब है कि जयपुर नगर निगम के दूसरे चुनाव में भी मेयर की लॉटरी ओबीसी महिला के खाते में गई थी। तब भाजपा की निर्मला वर्मा गुलाबीनगर की महापौर चुनी गई थी। उस वक्त मेयर का चुनाव बहुमत से पार्षद दल करता था।

कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी पहली ओबीसी महिला मेयर
जयपुर नगर निगम की पहली ओबीसी महिला महापौर निर्मला वर्मा ने सक्रियता के साथ शहर के विकास कार्यों को हाथ में लिया लेकिन वह पार्टी के कुछ नेताओं की कथित गुटबाजी का शिकार हो गई। गुटबाजी से पार पाने के प्रयासों के बीच ही हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद उपचुनाव में शील धाभाई को मेयर चुना गया। धाभाई ने अपना कार्यकाल पूरा किया लेकिन पहले पार्टी की गुटबाजी का शिकार हुई पिफर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ गई जिससे वह खुलकर काम नहीं कर सकी।
पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के समय मेयर की लॉटरी सामान्य महिला नाम खुली थी तब मेयर का चुनाव सीधे जनता के जरिए कराया तो कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल मेयर चुनी गई थी। इसके बाद आई वसुंधरा सरकार ने पार्षद दल से मेयर का चुनाव कराया था। वर्तमान गहलोत सरकार ने पहले मेयर के सीधे चुनाव का निर्णय किया, पिफर फैसले को बदलते हुए कैबीनेट में यह निर्णय किया कि मेयर के लिए पार्षद होना जरूरी नही है।
जाति—समाजों के प्रतिनिधियों बनाएंगे दबाव
हैरीटेज जयपुर, ग्रेटर जयपुर दोनों के ही मेयर के लिए शहर में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि भी सक्रिय हो गए हैं। शहर में जाट, माली, गुर्जर, यादव, कुमावत, छीपा, सुनार सहित ओबीसी वर्ग के अन्य समाजों के नेताओं ने लॉटरी निकलने के बाद फोन पर समाज के प्रतिनिधियों से संपर्क साधा और मेयर के लिए लॉबिंग शुरू कर दी। आनेवाले दिनों में समाजों के प्रतिनिधि भाजपा—कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर अपनी जाति के कार्यकर्ता को मेयर बनाने के लिए दबाव बनाने के प्रयास करेंगे। ऐसा प्रयास हर चुनाव में समाजों में प्रतिनिधि करते रहे हैं।
विधायक भी दिखाएंगे दमखम—
शहर के विधायक भी अपनी पसंद का मेयर बनाने के लिए पूरा दमखम दिखाएंगे। इसके लिए हर विधायक तथा पार्टी के हारे हुए विधायक प्रत्याशी अपने चहेते कार्यकर्ता को टिकट की पैरवी करेंगे। पिफर उनकी संख्या बल के आधार पर अपने चहेते ओबीसी कार्यकर्ता अथवा उनकी महिला परिजन का नाम मेयर के लिए आगे बढाएंगे। ऐसा पहले भी होता रहा है। विधायको की लॉबिंग के आधार पर मेयर चुना गया तो शहर के विकास कार्यों में गुटबाजी हावी हो सकती है।
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