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मोटापे की पीछे कहीं हार्मोंस तो नहीं वजह

locationजयपुरPublished: Apr 05, 2018 10:32:05 am

Submitted by:

Archana Kumawat

हार्मोन शारीरिक क्रियाओं को सुचारू रखने के लिए जिम्मेदार होती है लेकिन यदि हार्मोन असंतुलित हो जाए तो इससे मोटापा बढ़ सकता है।

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लेप्टिन हार्मोन
यह हार्मोन फैट सेल्स से स्रावित होता है। यह आपके दिमाग को संकेत देता है कि आपने पर्याप्त एनर्जी स्टोर कर ली है और अब आपको ज्यादा कैलोरी लेने की जरूरत नहीं है। यदि शरीर में यह हार्मोन बैलेंस है तो मोटापा नहीं बढ़ेगा। यदि ब्रेन इस हार्मोन के संकेत नहीं ले पाएंगा तो शरीर मेें फैट सेल्स का निर्माण तेजी से होने लगेगा। इस हार्मोन को बैलेंस रखने के लिए फल-सब्जियां ज्यादा लें
इंसुलिन
इंसुलिन हर्मोन के बारे में सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है। इसका एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी है कि यह न्यूट्रिसंस के मेटाबॉलिज्म का काम भी करता है। शरीर में एनर्जी के उपयोग को बढ़ाने का काम भी यह हार्मोन करता है। इसलिए यदि आपके शरीर में किसी तरह के बदलाव हो रहे हो या फिर हार्मोंस का असंतुलन हो रहा हो तो शरीर में फैट की मात्रा बढऩे लगती है। खानपान की आदतों से मोटापे को कम नहीं किया जा सकेगा।
तनाव हार्मोन
तनाव भी मोटापा बढ़ाने का एक बड़ा कारण होता है। दरअसल, तनाव की स्थिति में कुछ लोग जरूरत से ज्यादा कैलोरी का सेवन करते हैं। इससे शरीर में चर्बी का जमाव होने लगता है। पेट के आसपास चर्बी का ज्यादा जमाव होने का संबंध कार्टिसोल हार्मोन को माना जाता है। यह हार्मोन फैट, प्रोटीन और शुगर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने का काम करता है। साथ ही ब्लड प्रेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह इसका हार्मोन का ज्यादा स्राव होना हानिकारक है।
एस्टोजन और एंड्रोजन हार्मोन
स्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं में अधिक होता है और एंड्रोजन हार्मोन पुरुषों में। यह दोनों हार्मोन शरीर में वसा का वितरण करने का काम करते हैं। इसलिए इन हार्मोन्स के असंतुलित होने पर शरीर में वसा का जमाव होने लगता है। महिलाओं में प्रजनन काल मे दौरान फैट का जमाव शरीर के निचले हिस्सों में ज्यादा होने लगता है। मेनोपॉज के दौरान पेट के आसपास चर्बी बढऩे लगती है। ऐसे में हार्मोन्स को बैलेंस करने पर फोकस करें।
ग्रोथ हार्मोन
यदि शरीर में इस हार्मोन का स्राव तेज होने लग जाए तो यह तेजी से मोटापा कम करने का कारण बन सकता है। यह फैट सेल्स के साथ काम करता है। यह सेल्स को एनर्जी के लिए स्थानान्तिरत करने का काम करता है। फिजिकल एक्टिविटी और रोजाना आठ घंटे की नींद से इस हार्मोन को संतुलित रखा जा सकता है।
एडिपोनेक्टिन
इस हार्मोन का निर्माण फैटी टिश्यूज से होता है। यह हार्मोन ग्लूकोज और फैटी एसिड को बर्न करने का काम करता है। यह मसल्स को कार्बोहाइड्रेट से एनर्जी ग्रहण करने के लिए प्रेरित करता है। साथ ही शरीर में फैट का विघटन करने के लिए भी यह हार्मोन जरूरी होता है।

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